Year Ender 2023 These incident shocked: हम हर साल की शुरुआत आशा के साथ करते हैं, साथ ही बीते साल की यादें लेकर चलते हैं. जैसे-जैसे हम 2024 की ओर बढ़ रहे हैं और जब हम नए साल 2024 में होंगे तो 2023 की कई ऐसी घटनाएं हैं, जो याद बनकर हमारे जेहन में रहेंगी. आइए, इनमें से कुछ चुनिंदा घटनाओं पर नजर डालते हैं.
गैंगस्टर और राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की अप्रैल में पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वारदात से कुछ दिन पहले पुलिस एनकाउंटर में अतीक के बेटे की भी मौत हुई थी. इस घटना के कुछ दिनों बाद यूपी पुलिस अतीक और अशरफ को प्रयागराज में एक मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंची थी, जहां दोनों पत्रकारों से बात कर रहे थे. इसी दौरान तीन लड़कों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दोनों की हत्या कर दी थी. पूरी घटना लाइव कैमरे में कैद हो गई थी.
अतीक और अशरफ की हत्या की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया था कि उनका मुख्य मकसद अतीक और अशरफ की हत्या कर अपराध जगत में अपनी पहचान बनाना था. बता दें कि अतीक अहमद के खिलाफ चार दशकों में जबरन वसूली, अपहरण और हत्या समेत 160 से अधिक मामले दर्ज थे. अतीक, उमेश पाल की हत्या का मुख्य आरोपी था. उमेश पाल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में गवाह था. अतीक राजू पाल हत्याकांड में भी आरोपी था.
मणिपुर में 3 मई को भड़की जातीय हिंसा ने देश के साथ-साथ विदेश का भी ध्यान अपनी ओर खींचा. आदिवासी एकजुटता मार्च ने एक ऐसी हिंसा का मंच तैयार कर दिया, जो पिछले कई वर्षों में मणिपुर ने नहीं देखा था. इस कड़ी में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच झड़पें हुईं, जिसके कारण लगभग 200 लोगों की मौत हो गई. कुछ अनौपचारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, मरने वालों की संख्या इससे भी अधिक है. लोगों की मौत के अलावा हिंसा के चलते 70,000 से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा.
मई में हुई जातीय हिंसा के बाद कई महीनों तक राज्य में मोबाइल इंटरनेट पूरी तरह से बंद रहा, जिसे दिसंबर में फिर से बहाल किया गया. वहीं, कुछ शर्तों के साथ जुलाई में ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू की गईं थीं. हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जो विपक्ष के लिए संसद में केंद्र सरकार की आलोचना का आधार भी बना. अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में राहत और पुनर्वास पर गौर करने के लिए हाई कोर्ट के तीन पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति गठित की.
इस बीच जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर से एक वीडियो सामने आया, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया. यहां कुछ महिलाओं को प्रताड़ित करने के बाद सड़कों पर उनके साथ बिना कपड़े परेड कराने का मामला सामने आया.
इस साल, मानसून में पूरे उत्तर भारत में भारी बारिश हुई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मानसून में बिजली गिरने और भूस्खलन समेत बारिश से संबंधित घटनाओं में 2,000 से अधिक लोग मारे गए. अकेले हिमाचल प्रदेश में 330 लोग मारे गये. इस मानसून सीजन के दौरान लगातार बारिश हिमाचल के इतिहास में सबसे गंभीर आपदाओं में से एक बन गई. जुलाई में राज्य में दर्ज की गई बारिश ने पिछले 50 वर्षों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए.
बारिश के कारण नदियां उफान पर होने के कारण नेशनल हाइवेज समेत सड़कों के कुछ हिस्से बह गए. कुछ महीने बाद, दिसंबर में चक्रवात मिचौंग ने चेन्नई में विनाश का निशान छोड़ा. मिचौंग तूफान आंध्र प्रदेश तट से टकराया था. चक्रवात के कारण हुई भारी बारिश से चेन्नई में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई.
चक्रवात मिचौंग का प्रभाव कई दिनों तक रहा था. वहीं, चक्रवात के कारण बिजली गुल होने के बाद चेन्नई को लोगों को कई दिनों तक काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. जब चेन्नई चक्रवात मिचौंग से उबर रहा था, तब दक्षिणी तमिलनाडु भारी बारिश से जूझ रहा था. साउथ तमिलनाडु में आई बाढ़ में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई.
1995 के फिरोजाबाद रेल हादसे के बाद सबसे घातक रेलवे दुर्घटना 2 जून की रात ओडिशा में देखने को मिली. राज्य के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन, ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे कोरोमंडल के उसके अधिकांश डिब्बे पटरी से उतर गए थे. घटना के दौरान वहां से गुजर रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी चपेट में आई थी. हादसे के दौरान कोरोमंडल के कुछ डिब्बे बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन के आखिरी कुछ डिब्बों पर पलट गए थे. भीषण ट्रिपल-ट्रेन दुर्घटना में 290 से अधिक लोग मारे गए और 1,200 से अधिक लोग घायल हो गए.
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि टक्कर 'सिग्नलिंग-सर्किट-परिवर्तन' प्रक्रिया में खामियों के कारण हुई, जिसके कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस को गलत सिग्नल भेजे गए, जिससे वह लूप लाइन में प्रवेश कर गई, जहां मालगाड़ी खड़ी थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली थी और तीन रेलवे कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था.
उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के अंदर दिवाली वाले दिन 41 मजदूर फंस गए थे. मजदूरों के फंसने की जानकारी के बाद सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था. सभी 41 मजदूर 12 नवंबर को सुरंग में फंसे थे.
मजदूरों के रेस्क्यू में कई बचाव एजेंसियां जुटी थीं और आखिरकार 17 दिनों बाद सभी 41 मजदूरों को टनल से सुरक्षित निकाल लिया गया था. रेस्क्यू के आखिरी चरण में लगातार बाधाओं के आने के बाद रैट होल कर्मियों को लाया गया, जिनकी वजह से उन्हें बाहर निकाला गया.