AIIMS दिल्ली में मनाया गया विश्व ध्यान दिवस, डॉ. रीमा दादा ने बताए ध्यान के चमत्कारिक लाभ
डॉ. दादा ने कहा कि जो बच्चे हर दिन आसन, ध्यान, प्राणायाम करते हैं उनका ना केवल शारीरिक विकास अच्छा होता है बल्कि उनका फोकस, ध्यान, एकाग्रता और मेमोरी की क्षमता काफी अच्छी हो जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे मस्तिष्क में कई पदार्थ बनते हैं जो हमारे दिमाग में न्यूरोप्लास्टिसिटी प्रमोट करते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) घोषित किया जिसमें भारत सह-प्रायोजक रहा. ध्यान, एक ऐसी प्राचीन प्रक्रिया है जिससे मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है और सुकून का एहसास होता है. इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करना है. मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद से छुटकारा पाने के लिए ध्यान एक प्रभावी उपाय है.
एम्स दिल्ली में मनाया गया विश्व ध्यान दिवस
आज, इस खास अवसर पर, देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स नई दिल्ली में भी विश्व ध्यान दिवस मनाया गया. इस मौके पर अस्पताल के जवाहरलाल नेहरू सभागार में एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें डॉक्टरों ने ध्यान के मानसिक और शारीरिक लाभों के बारे में जानकारी दी.
एम्स अस्पताल की प्रोफेसर डॉक्टर रीमा दादा ने कहा कि बच्चों के जीवन में भी ध्यान का महत्व बढ़ रहा है. वर्तमान समय में बच्चों में मानसिक तनाव, डिप्रेशन और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. डॉक्टर दादा ने कहा कि आजकल बच्चों को भी डायबिटीज जैसी बीमारियां हो रही हैं, जो हमारे गलत खान-पान और जीवनशैली के कारण हैं. अगर हम अपनी दिनचर्या में सही खान-पान और योग को शामिल करें, तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
डॉक्टर दादा ने आगे कहा कि ध्यान और योग शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के सबसे प्रभावी तरीके हैं. ध्यान करने से तनाव कम होता है, नींद बेहतर होती है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए, ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है.
योग-मेडिटेशन से होते हैं चमत्कारिक लाभ
डॉक्टर रीमा दादा ने कहा कि योग व मेडिटेशन करने से शरीर और मन को चमत्कारिक लाभ होते हैं. उन्होंने कहा कि मेडिटेशन या ध्यान योग का ही एक हिस्सा है. योग ध्यान, प्राणायाम और आसन से मिलकर बना होता है और इन तीनों का इंसान के शरीर पर चमत्कारिक प्रभाव पड़ता है.
गलत लाइफस्टाइल से बढ़ रहे रोग
दादा ने कहा कि आजकल के छोटे-छोटे बच्चों में मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन हो रहा है. बच्चे स्कूल में पढ़ाई से साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चों में ब्लड प्रेशर, मधुमेह की समस्या देखने को मिल रही है. ये सब हमारी गलत लाइफस्टाइल का कारण है.
उन्होंने कहा कि भोजन के नाम पर हम और हमारे बच्चे पैक्ड, प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का सेवन कर रहे हैं जिससे हम लगाता शारीरिक और मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. अगर हम हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और अनप्रोसेस्ड (अप्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ) भोजन के साथ-साथ लगातार मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें तो काफी हद तक शारीरिक और मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है.
बच्चों में बढ़ती है लर्निंग पावर
डॉ. दादा ने कहा कि जो बच्चे हर दिन आसन, ध्यान, प्राणायाम करते हैं. उनका ना केवल शारीरिक विकास अच्छा होता है बल्कि उनका फोकस, ध्यान, एकाग्रता और मेमोरी की क्षमता काफी अच्छी हो जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे मस्तिष्क में कई पदार्थ बनते हैं जो हमारे दिमाग में न्यूरोप्लास्टिसिटी प्रमोट करते हैं और जब ये हमारे मस्तिष्क में ठीक ढंग से होने लगता है तो हम किसी भी परिस्थिति से बेहतर ढंग से डील पाने में सक्षम होते हैं और ऐसा करने के लिए हमें प्रतिदिन योग, प्राणायाम और मेडिटेशन करने की बेहद जरूरत है.
योग, ध्यान से गंभीर बीमारियों का इलाज संभव
इस सवाल पर डॉ. दादा ने कहा कि इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर मौकों पर इन सभी चीजों का संबंध हमारी दिनचर्या से होता है. पेरेंट्स को बच्चों पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है. वे घर का माहौल ठीक करें, उन्हें बाहर का खाना ना दें. मोबाइल और लेपटॉप पर बच्चों को ज्यादा समय ना बिताने दें. प्रोसेस्ड फूड जैसे आर्टिफिशियल जूस, नूडल्स आदि, इन सब चीजों से भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में योग, मेडिटेशन, शारीरिक व्यायाम बहुत जरूरी हो जाता है. दादा ने कहा कि योग, ध्यान, प्राणायाम से न केवल बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.