नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि बीजेपी अपने राजनीतिक मकसद के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करके भगवान राम का अपमान कर रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या वह देश में एकमात्र हिंदू हैं?
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा अगर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार करने के लिए हमें हिंदू विरोधी कहा जाता है तो शंकराचार्यों को क्या कहा जाएगा? क्या पूरे देश में केवल पीएम मोदी ही बचे हैं जो हिंदू हैं.? बीजेपी अपने राजनीतिक मकसद के लिए भगवान राम के नाम का इस्तेमाल कर उनका अपमान कर रहे हैं.
#WATCH | On Congress declining the invitation for Ram Temple 'Pran Pratishtha' ceremony, West Bengal Congress President Adhir Ranjan Chowdhury says, "What Shankaracharyas will be called then if we are called anti-Hindu for declining the invitation for Ram Temple 'Pran Pratishtha'… pic.twitter.com/gXwoj0G7Fb
— ANI (@ANI) January 18, 2024
कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी पहले ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा चुके हैं. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने महीने की शुरुआत में निमंत्रण को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वह बाद में अपने परिवार के साथ मंदिर जाएंगे. कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना (यूबीटी), सपा, BSP, TMC समेत कई तमाम विपक्षी दलों ने इस समारोह से दूरी बना ली है. कांग्रेस ने इस समारोह को BJP और कांग्रेस का इवेंट करार दिया है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि वे राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में नहीं जा रहे हैं.
सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकाला गया है. प्राण प्रतिष्ठा के दिन प्रधानमंत्री मोदी, RSS सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी रहेगी. रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी.