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भारत को एक बार फिर बनाएंगे सोने की चिड़िया, अनुसंधान के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार को एक साथ लाने की कोशिश

एस. सोमनाथ ने भारतीय उद्योग, शिक्षा और सरकारी संस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर बात की है. उनका मानना है कि अगर इस दिशा में कदम सही तरीके से उठाए जाएं, तो भारत का भविष्य तकनीकी क्षेत्र में और भी उज्जवल होगा.

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Gujarat: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अनुसंधान और नवाचार के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की पहल निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम उत्पन्न करेगी.

एस. सोमनाथ ने यह बात धीरूभाई अंबानी विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह में स्नातक छात्रों के बीच साझा की. उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अपने कामकाजी जीवन में सहयोग के महत्व को समझें और जिस संस्था में वे कार्यरत होंगे, वहां के व्यापक परिप्रेक्ष्य को पहचानें.

ISRO में कार्य करने का अनुभव

सोमनाथ ने कहा कि वह स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. उनका कहना था कि ISRO समाज की समस्याओं को हल करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में अग्रणी रहा है, और यह भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत स्थान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने भविष्यवाणी की कि अब वह समय दूर नहीं जब भारत एक पूरी तरह से प्रौद्योगिकी-संचालित राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आएगा, जहां घरेलू नवाचार और उद्योग न केवल नए उत्पादों और सेवाओं का विकास करेंगे, बल्कि व्यापार और आर्थिक प्रगति के नए रास्ते भी खोलेंगे. सोमनाथ ने इस संदर्भ में अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) और अन्य मॉडल्स के निर्माण की बात की, जिससे उद्योग, अकादमी और सरकार के बीच एक मजबूत सहयोगी तंत्र विकसित होगा.

किसी भी संगठन में काम करने का सही दृष्टिकोण

सोमनाथ ने विश्वविद्यालय के छात्रों को एक अहम सलाह देते हुए कहा, "मैं आपको बता सकता हूं कि आपको लोगों के साथ काम करने की जरूरत है, और यह आपके ज्ञान और तकनीकी क्षमताओं से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है." उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि उनका मुख्य ध्यान अपने काम को सही तरीके से करने और अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर बेहतर परिणाम प्राप्त करने पर होना चाहिए.

सोमनाथ ने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में विज्ञान, अभियांत्रिकी और संबंधित क्षेत्रों में उच्चतम वृद्धि होने का अनुमान है. उनका मानना है कि यह वृद्धि भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगी, विशेष रूप से तकनीकी नवाचारों के क्षेत्र में.