Indian Railway Track: देश भर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए भारी संख्या में लोग रेलवे का इस्तेमाल करते हैं. रेलवे के सफर को लोग इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह काफी किफायती होने के साथ-साथ किसी भी मौसम में नहीं रुकती है. बारिश हो या तूफान रेलवे के संचालन पर शायद ही कभी ब्रेक लगता है. क्या आपने कभी सोचा आखिर यह कैसे मुमकिन होता है, इसके पीछे की गणित क्या है. आईए आज हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है.
दरअसल पटरियों पर ट्रेन के बिना फिसले तेज स्पीड में दौड़ने के पीछे की एक वैज्ञानिक तकनीक है. इसमें घर्षण का नियम काम करता है जिससे ट्रेन की गति को कुछ इस तरह नियंत्रित किया जाता है कि कोई हादसा न हो. ट्रेन के दोनों किनारों से लगने वाला पार्श्वकारी बल निश्चित सीमा के अंदर रहता है. आपको बता दें, जब तक पार्श्वकारी बल 30 या 40 प्रतिशत से अधिक नहीं हो जाता तब तक ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने या पटरी से उतरने का खतरा नहीं होता है.
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पटरी से ट्रेन के फिसलने और दुर्घटनाग्रस्त होने से रोकने के लिए कई सुरक्षा मानक निर्धारित किए गए हैं. इस मानकों का पालन पटरियां बिछाने के दौरान भी की जाती है. लोको पायलट को को इससे संबंधित दिशा-निर्देश दिया जाता है. रेलवे की ओर से समय-समय पर पटरियों की जांच और देखभाल भी की जाती है.
इसके बावजूद कई बार ऐसी खबरें सामने आती हैं कि ट्रेन पटरी से उतर गई है लेकिन इसके पीछे की कारण कुछ और होती है. आपने यह कभी नहीं सुना होगा कि बारिश के चलते ट्रेन रेलवे ट्रैक से फिसल गई क्योंकि इसके पीछे वैज्ञानिकों का दिमाग होता है.
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