जम्मू और कश्मीर में एक बार फिर आतंकवाद पांव पसार रहा है. बीते कुछ दिनों में शांत माने जाने वाले जम्मू में एक के बाद एक कई आतंकी हमले हुए हैं. पूरे क्षेत्र में सुरक्षाबल अब हाई अलर्ट पर हैं. आतंकियों ने रियासी, कठुआ और डोडा में कई हमले किए हैं. इन हमलों में 8 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. 7 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) जवान शहीद हो चुका है और कई लोग घायल हो चुके हैं. ये हाल जम्मू का है.
जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ ले रहे थे, दुनिया की नजर भारत पर थी, कुछ दहशतगर्दों ने शिवखोड़ी में एक बस के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. नतीजा ये हुआ कि बस खाई में जा गिरी. मासूम बच्चे तक मारे गए. कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए. पीर पंजाल की पहाड़ियां खून से लाल हो गईं. इस हमले में 33 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. आखिर आतंकियों ने क्यों जम्मू को ही दहलाने की साजिश रची है, आइए जानते हैं.
इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हुसैन (रिटायर्ड) ने कुछ अहम बातें बताई हैं. उन्होंने कहा है कि आतंकी यह संदेश देना चाहते थे कि एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी शपथ ले रहे हैं, दूसरी तरफ, उनका जम्मू और कश्मीर पर कोई नियंत्रण नहीं है. सैयद अता हुसैन ने कहा कि ऐसे हमलों से यह संदेश देने की कोशिश होती है कि हम पाकिस्तान के नियंत्रण में है, भारत का असर हम पर नहीं है.
वे बताते हैं कि चित्तिसिंहपुरा हत्याकांड का मकसद भी यही था, जब साल 2000 में 35 सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तानी आतंकियों ने अनंतनाग के इस गांव में मार डाला था. तब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्विंटन भारत आकर संसद को संबोधित करने वाले थे. सैयद अता हुसैन का कहना है कि पाकिस्तान में ऐसे कई आतंकी संगठन सक्रिय है. ऐसे वक्त में जब दुनिया में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है, तब हमला करके यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि नहीं, अपने ही देश में भारत बेहद कमजोर है.
देश के चर्चित सुरक्षा विश्लेषक सुशांत सरीन ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि भारत में लोकसभा चुनाव तो संपन्न हो गए हैं. पाकिस्तान को यह ठीक नहीं लगा. कश्मीर में बीते 3 वर्षों में शांति है. सुरक्षाबलों के एंटी टेरर ऑपरेशन की वजह से हालात सामान्य हैं, तब जम्मू आतंकियों का नया ठिकाना बन रहा है. जम्मू बनाम कश्मीर के संघर्ष में इस क्षेत्र पर किसी का ध्यान ही नहीं गया.
वे बताते हैं कि ये एक या दो आतंकी समूह नहीं हैं. कई छोटे-छोटे आतंकी संगठन सक्रिय हैं. ये हमले करने वाले बेहद ट्रेंड है, ये छोटे हमले करते हैं. इनके खिलाफ एक्शन लेने की सख्त जरूरत है.
जम्मू और कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य बताते हैं कि कश्मीर घाटी में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हुए. लोगों ने बढ़चढ़कर वोटिंग में हिस्सा लिया. यही बात पाकिस्तान और आतंकियों को खटकने लगी. केंद्र शासित प्रदेश में अपने देश के प्रति लोगों के जिम्मेदार रवैये ने आतंकियों को भड़का दिया. ऐसे में अब भारत को विधानसभा चुनावों को नहीं रोकना चाहिए. इससे वही संदेश जाएगा जो पाकिस्तान देना चाहता है.
साल 1996 से 1997 के दौरान, आतंकवाद अपने चरम पर रहा है. ऐसे में अब चुनाव कराना असंभव नहीं है. जम्मू और कश्मीर में वैसे ही वोटिंग हुई, जैसे कि देश के दूसरे हिस्सों में होती है. वहां 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़े. यह संदेश गया कि भारत के अन्य राज्यों की तरह जम्मू और कश्मीर भी है. यही बात आतंकियों को खल गई.