दिल्ली में पेड़ कटने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना को फटकार लगाई है. इस मामले में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार आरोप लगा रही है कि उपराज्यपाल के निर्देश पर ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने साउथ दिल्ली में हजारों पेड़ काटे गए. अब इसी मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल को फटकार लगाई है. कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आप खुद को कोर्ट मानते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि उपराज्यपाल के साथ-साथ बाकी लोगों ने भी इस मामले में गलती की है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. आरोप है कि अदालत में लंबित एक आवेदन को नजरअंदाज करते हुए संरक्षित क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए डीडीए ने अनुमति दे दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस भुइयां की बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने उपराज्यपाल की संलिप्तता छिपाने के प्रयासों की भी निंदी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले ही दिन यह बताया जाना चाहिए था कि उपराज्यपाल ने ही पेड़ काटने के निर्देश दिए थे.
दिल्ली के उपराज्यपाल को फटकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'LG ने विवेक का इस्तेमाल नहीं लिया. उन्होंने मान लिया कि दिल्ली सरकार के पास इसकी शक्ति है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें पहले ही दिन बताया जाना चाहिए था कि उपराज्यपाल ने निर्देश दिए थे. क्या एलजी खुद को अधालत मानते हैं? क्या कोई अधिकारी एलजी के पास यह बताने गया था कि काम आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की जरूरत है?'
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी पक्षों ने इस मामले में गलती की है और अदालत में आकर सफाई देने के बजाय गलती पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. दरअसल, साउथ दिल्ली में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की बिल्डिंग बनाई जा रही है. दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना 3 फरवरी 2024 को इसका निरीक्षण करने पहुंचे थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, 'दिल्ली के उपराज्यपाल ने काम में तेजी लाने को कहा लेकिन हमें ये नहीं बताया गया. तीन-चार दिनों तक इसे छिपाने की कोशिश की गई.'