महाराष्ट्र में किसकी कुर्सी, किसका कमान, महायुति में महासंग्राम...आज होगा सब क्लियर?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आए 7 दिन बीत चुके हैं. यहां भाजपा, शिवसेना शिंदे और NCP अजित पवार गुट यानी महायुति ने 288 में से 230 सीटें जीतीं, लेकिन अब तक शपथ पर सस्पेंस बना हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे डिप्टी CM का पद लेने को तैयार हो गए हैं लेकिन वे गृह मंत्रालय पर अड़े हुए हैं.

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Khushboo Chaudhary

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए एक हफ़्ते से ज्यादा हो गया है लेकिन सरकार गठन पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है. महायुति के मुख्य घटक भाजपा, एनसीपी और शिवसेना के पास कुल मिलाकर 230 सीटें हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए तीन उम्मीदवार भी हैं. इसके अलावा, चुनाव नतीजों ने महायुति में भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिया, जो शिवसेना और एनसीपी के संयुक्त बहुमत से भी ज्यादा है.

फिर भी भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति मुख्यमंत्री का चयन करने और सरकार बनाने में सक्षम नहीं है. इसका कारण यह है कि गठबंधन में एकता के दावों के बावजूद, तीनों दल सीएम के लिए अपनी पसंद में विभाजित हैं. प्रत्येक पार्टी चाहती है कि उसका संबंधित नेता कुर्सी पर बैठे. न तो देवेंद्र फडणवीस, न ही एकनाथ शिंदे, और न ही अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे सीएम की कुर्सी नहीं चाहते हैं. इन नेताओं द्वारा किया गया हर सार्वजनिक बयान केवल 'महायुति में एकता' कारक पर जोर देता है.

महाराष्ट्र में फंसा महायुति में पेंच

नतीजों को एक हफ़्ते से ज़्यादा बीत जाने के बाद अब यह लगभग तय है कि बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे. इसके अलावा, सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने एकनाथ शिंदे की विभागों की मांग पर भी विचार किया है. हालांकि, खुद एकनाथ शिंदे की भूमिका पर अनिर्णय की वजह से सरकार गठन में रुकावट आ रही है.

एकनाथ शिंदे ने रखी अपनी मांग?

सूत्रों की माने तो बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी की पेशकश की है लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. शिंदे की सतारा में अपने पैतृक गांव दरे की यात्रा और एनसीपी-शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड से उनकी मुलाकात ने भी महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण की तिथि और स्थान भी लगभग तय हो चुका है. देखना यह है कि महायुति कब तक "एकजुट होकर" शीर्ष सरकारी पद पर फैसला लेती है.