भारतीय संसद में प्रवेश करते ही एक खास अंतर ध्यान खींचता है- राज्यसभा को गहरे लाल रंग से सजाया गया है, जबकि लोकसभा में हरे रंग की जीवंतता नजर आती है. यह केवल सौंदर्य का मामला नहीं, बल्कि इन रंगों के पीछे ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक महत्व छिपा है, जो संसदीय परंपराओं की गहरी जड़ों से जुड़ा है.
रंगों का मतलब क्या है?
राज्यसभा में लाल: लाल रंग शक्ति, सम्मान और परंपरा का प्रतीक है. यह राजसी गरिमा और संयम को दर्शाता है. ऊपरी सदन के लिए यह विचार-विमर्श, गंभीरता और गहराई का संकेत देता है. राज्यसभा, जिसमें अनुभवी नेता और राज्य प्रतिनिधि शामिल हैं, लोकसभा से पारित कानूनों की समीक्षा करती है.
लोकसभा में हरा: हरा रंग विकास, ऊर्जा और जनता से जुड़ाव का प्रतीक है. यह लोकतंत्र की जड़ों और लोगों की शक्ति को व्यक्त करता है. सीधे चुने गए इस सदन में जनता की आवाज गूंजती है, और हरा रंग इस ताजगी व जीवंतता को रेखांकित करता है.
ब्रिटिश प्रभाव और परंपरा
भारतीय संसद की रंग योजना ब्रिटिश संसद से प्रेरित है. वहां हाउस ऑफ लॉर्ड्स लाल और हाउस ऑफ कॉमन्स हरे रंग में सजाया गया है. स्वतंत्रता के बाद भारत ने भी यही अंतर अपनाया- राज्यसभा को लाल और लोकसभा को हरा रंग दिया गया. ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश भी इस परंपरा का अनुसरण करते हैं.
नई संसद में निरंतरता
मई 2023 में उद्घाटित नई संसद भवन में भी यह रंग प्रतीकवाद जारी है. लोकसभा हरे और राज्यसभा लाल रंग में सजी है. लोकसभा में मोर से प्रेरित डिजाइन और राज्यसभा में कमल के तत्व शामिल हैं, जो क्रमशः जीवंतता और गरिमा को दर्शाते हैं. सेंट्रल लाउंज वटवृक्ष की थीम पर आधारित है.
रंग और व्यवहार
विश्लेषकों का कहना है कि लाल रंग संयम को प्रोत्साहित करता है, जबकि हरा ऊर्जावान माहौल बनाता है. ये रंग बहस के स्वर को प्रभावित करते हैं.