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Ayodhya Ke Ram: राम मंदिर आंदोलन में 6 दिसंबर 1992 का दिन क्यों हैं अहम, जानें बाबरी मस्जिद विध्वंस की पूरी कहानी?

6 दिसंबर 1992 को ही बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को लाखों की संख्या में पहुंचे कारसेवकों ने गिरा दिया था.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
Karsevaks had demolished Babri Masjid 6  December 1992

हाइलाइट्स

  • 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबद को कारसेवकों ने किया था ध्वस्त
  • बाबर के शासनकाल के दौरान हुआ था बाबरी मस्जिद का निर्माण

नई दिल्ली: 6 दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है. 6 दिसंबर 1992 को ही बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को लाखों की संख्या में पहुंचे कारसेवकों ने गिरा दिया था. इस दौरान RSS, VHP और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. जिसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए.

बाबर के शासनकाल के दौरान बाबरी मस्जिद का निर्माण 

बाबरी मस्जिद मुगल काल की मस्जिद थी जो अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल पर खड़ी थी. इस मस्जिद का निर्माण भारत में मुगल वंश के संस्थापक बाबर के शासनकाल के दौरान किया गया था. बाबरी मस्जिद के निर्माण की तारीख को लेकर इतिहासकारों में एकराय का अभाव है. कुछ इतिहासकारों ने दावा किया है कि बाबरी मस्जिद नाम की मस्जिद का निर्माण बाबर (1526-30) के समय में नहीं, बल्कि शक्तिशाली मुगल सम्राटों में से अंतिम औरंगजेब (1657-1707) के समय में किया गया था. 

कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को किया था ध्वस्त

बाबरी मस्जिद विवादास्पद रही क्योंकि भगवान राम के भक्तों ने दावा किया कि इसका निर्माण भगवान राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर को तोड़कर किया गया था. 6 दिसंबर 1992 को VHP और BJP के आह्वान पर अयोध्या में एकत्र हुए कारसेवकों (जिन्हें स्वयंसेवक कहा जाता था) ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था.  सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में उस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान माना जहां बाबरी मस्जिद थी और उनके नाम पर मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट को जमीन दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बाबरी मस्जिद के विध्वंस को भी गैरकानूनी कृत्य माना था. 

कारसेवकों की ओर से बाबरी मस्जिद का विध्वंस

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था. 6 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के शहर में हजारों कारसेवकों के साथ अयोध्या में कर्फ्यू लगा हुआ था. देशभर से लाखों कारसेवकों की भीड़ अयोध्या के बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ रही थी. जय श्री राम, राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो इस नारे की गूंज के साथ कारसेवकों ने मस्जिद के ढांचे को ध्वस्त कर दिया. बाबरी मस्जिद में तीन गुंबद थे और भगवान राम के भक्तों का मानना ​​है कि केंद्रीय गुंबद के नीचे का स्थान भगवान राम का सटीक जन्मस्थान था. दोपहर के कुछ देर बाद ही बाबरी मस्जिद गिर गई थी. तीनों गुंबदों को कारसेवकों ने गिरा दिया था.

कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त

बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि उसके आदेशों का पूरा पालन होगा, लेकिन मस्जिद के विध्वंस को रोक नहीं सके. इसके चलते कल्याण सिंह को एक दिन की सजा भी हुई थी. इस दौरान केंद्र की तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव सरकार और राज्य के तत्कालीन CM कल्याण सिंह सरकार इस पूरे घटनाक्रम को देखती ही रह गयी. इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया. 

पीएम मोदी के हाथों भगवान रामलला की होगी प्राण प्रतिष्ठा 

2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि पुराने राम मंदिर पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी. अब वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से प्रगति पर है. 22 जनवरी को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन किया जाएगा. 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकाला गया है. जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा. पीएम मोदी के हाथों भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी.