नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी के राज्यसभा से सांसद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं. शराब घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर 10 घंटे लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है. उनकी यह गिरफ्तारी एक्साइज जांच मामले के मुख्य आरोपी दिनेश अरोड़ा के एजेंसी के मुख्य गवाह बनने के बाद हुई है. संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि जिस पर मां का आशीर्वाद हो भला उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने संजय सिंह की गिरफ्तारी को गैर-कानूनी बताया है.
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह पार्टी में केजरीवाल के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता थे. संजय सिंह पार्टी की पॉलिटकल अफेयर्स कमेटी के मेंबर होने के साथ ही पार्टी के नेशनल स्पोक्सपर्सन भी हैं. इसके अतिरिक्त वह उत्तर प्रदेश और बिहार में पार्टी की कमान भी उन्हीं के पास है. पार्टी के हर फैसले में उनके दखल होने के अलावा वह दूसरी पार्टी के नेताओं के साथ मीटिंग में भी दिखाई देते हैं. इन सबके इतर पार्टी के लिए चुनावी रणनीति, जमीनी समीकरण को साधने में भी संजय सिंह का रोल काफी अहम होता है. कुछ प्वाइंट्स के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेंगे कि उनकी गिरफ्तारी आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका क्यों है?
दिल्ली के पूर्व डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आप के लिए दूसरा बड़ा झटका है. ये पार्टी से ज्यादा बड़ा झटका आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए है. सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही केजरीवाल के सेकंड इन कमांड बन गए थे. पार्टी के बड़े फैसलों की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी. आप के प्रमुख फैसलों में उनकी अहम भूमिका होती थी.
संजय सिंह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से आते हैं. वह साल 2011 में नई दिल्ली में अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हुए थे. पार्टी गठन के वे प्रमुख सदस्यों में से एक थे. संजय सिंह को आम आदमी पार्टी के सबसे मुखर नेताओं में से एक माना जाता है. वह हर मसले पर खुलकर अपनी बे-बाक राय रखते हैं. हिंदी पट्टी के राज्यों में उनकी सक्रियता साफ तौर पर नजर आती है.
इस साल उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में अपना खाता खोलने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह की भूमिका बेहद अहम थी. पार्टी की चुनावी रणनीति से लेकर उसको जमीन पर उतारने में उनका रोल अहम था. पार्टी ने प्रदेश के गाजियाबाद, बदायूं, कौशांबी, फिरोजाबाद सहित कई जिलों में सफलता हासिल की थी. पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी खाली हाथ रही थी,लेकिन निकाय चुनावों में आप ने जीत का स्वाद संजय की बदौलत ही चखा था.
संजय सिंह आम आदमी पार्टी में सिसोदिया की गिरफ्तारी और केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर के सबसे बड़े नेता हैं. उनकी राजनीतिक समझ और आम जन से जुड़े मसलों पर खुलकर अपनी बात रखते हैं.उन्होंने सक्रिय राजनीति में आने के बाद कांग्रेस सहित कई गैर-भाजपा दलों से बेहतर संबंध बनाए हैं. पार्टी के एक सीनियर लीडर ने कहा कि वेस्ट बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे के साथ बैठकों में वह केजरीवाल के साथ जाते हैं. यह पार्टी के अलावा उनके विपक्षी नेताओं में बड़े कद का सबूत हैं. विपक्षी गठबंधन INDIA की हर बैठक में शामिल होते हैं. विपक्षी दलों के साथ तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी भी संजय सिंह के कंधों पर है.
संजय सिंह अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. इसका प्रमाण हमने उनकी ओर से उठाए गए मणिपुर हिंसा, हाथरस कांड, बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे, किसान आंदोलन में देख चुके हैं. इन मामलों को लेकर वे सदन में सरकार को अपने सवालों से घेरते नजर आए. उनकी ओर से हाल ही में उठाए गए मणिपुर हिंसा को लेकर सवाल पूछा था. इसके बाद उन्हें सदन से सस्पेंड कर दिया गया था. मतलब साफ है कि आम आदमी पार्टी की ओर से संसद में अलग-अलग मुद्दों को उठाने के लिए संजय सिंह ही पार्टी के सबसे बड़े चेहरे नजर आते हैं.
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