नई दिल्ली: हमारे देश पर अंग्रेजों ने करीब दो से साल तक शासन किया था. अंग्रेजी हुकूमत के बाद साल 1947 में 15 अगस्त को हमारा देश आजाद हुआ. आजादी के बाद हर साल हमारा देश 15 अगस्त को धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है. देश की आजादी की जब हम बात करते हैं तो आपके मन में एक सवाल जरूर आता होगा, आजादी के लिए आखिर 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई थी. इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे इसके पीछे की कहानी.
आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई इसको लेकर इतिहासकारों की राय अलग अलग है. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि माउंटबेटन की ओर से आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख तय की गई थी. इतिहासकार बताते हैं की माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे इसलिए ये तारीख चुनी थी. माउंटबेटन के लिए 15 अगस्त शुभ इसलिए था क्योंकि 1945 में जब सेकंड वर्ल्ड वॉर चल रहा था तो उस दौरान भी 15 अगस्त को ही जापानी सेना ने सरेंडर किया था.
जानिए कौन हैं माउंटबेटन?
भारत के आखिरी वायसराय और स्वतंत्र भारतीय संघ के पहले गवर्नर-जनरल के रूप में जॉर्ज माउंटबेटन ने सेवा दी थी. फरवरी 1947 में किंग जॉर्ज को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया था. माउंटबेटन ब्रिटेन के राजघराने से संबंध रखते थे. ब्रिटिश रॉयल नेवी में बतौर कमांडर-इन-चीफ भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी. जानकारी के अनुसार साल 1979 में 27 अगस्त को माउंटबेटन अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने गए हुए थे. इस दौरान एक नाव में विस्फोट होने से उनकी मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दावा यह भी किया गया है कि इस हत्या के पीछे भी ब्रिटिश इंटेलिजेंस का हाथ है. माउंटबेटन की मौत के बाद भारत में 7 दिनों का शोक घोषित किया गया था.
इस दिन लिखी गई थी आजादी की स्क्रिप्ट
दरअसल, ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस में 4 जुलाई 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस बिल पेश किया गया. जिसमें भारत के बंटवारे और एक नए राष्ट्र पाकिस्तान के बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था. ब्रिटिश हाउस की और से 14 दिन बाद यानी 18 जुलाई को इस बिल को स्वीकार किया गया था और फिर 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को भारत आजाद हुआ था.