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इंदिरा, राहुल और अब प्रियंका, दक्षिण का रुख क्यों करती है कांग्रेस? समझिए क्यों बन गया है गढ़

कांग्रेस दक्षिण भारत में जिन सीटों पर है, वहां पार्टी का दबदबा है. पार्टी के वोटर इतने वफादार हैं कि वे पीढ़ियों तक इंतजार करते हैं. इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अब प्रियंका गांधी, दक्षिण के सहारे संसद आने की तैयारी में हैं. केरल, गांधी परिवार का गढ़ है. यहां से 2024 में भी राहुल गांधी चुनाव जीत गए थे, अब उन्होंने यहां से इस्तीफा देने का मन बनाया है. यहां प्रियंका गांधी कमान संभालेंगी.

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Edited By: India Daily Live
Mallikarjun Kharge, Rahul Gandhi, Priyana Gandhi
Courtesy: Social Media

साल 2019 का लोकसभा चुनाव. कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश की अमेठी और केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनावी समर में उतरे. अमेठी की जनता ने उन्हें नकार दिया और भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता स्मृति ईरानी चुनाव जीत गईं. अमेठी में धोखा मिला लेकिन वायनाड ने उन्हें अपना लिया. राहुल गांधी ने कहा कि वे वायनाड कभी नहीं छोड़ेंगे. जैसे-तैसे राहुल गांधी की सांसदी तो बच गई लेकिन उनकी साख दांव पर लग गई. साल 2024 आते-आते राहुल गांधी की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल गई.

लोकसभा चुनाव हुए और दक्षिण ने उन्हें संभाल लिया. उन्होंने दक्षिण से लेकर उत्तर तक, जमकर सीटें हासिल की. जो कांग्रेस 55 के आंकड़े पर भी नहीं पहुंच सकी थी, वह 99 सीटें हासिल कर ले गई. राहुल गांधी ने कांग्रेस ने नए सिरे से प्राण फूंक दी. एक ऐसे वक्त में जब कांग्रेस के भविष्य पर ही सवाल खड़े हो रहे थे, तब उन्होंने साबित कर दिया कि कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी है और उसी के ध्वज के नीचे विपक्ष को पहचान मिल सकता है. आइए जानते हैं जब-जब कांग्रेस के लिए हालात बुरे होते हैं तब-तब कांग्रेस दक्षिण क्यों भागती है?

कांग्रेस के गांधी परिवार की सार्वजनिक स्वीकृति, उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक है. अगर गांधी परिवार का कोई भी सदस्य, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, किसी भी राज्य से लड़े तो चुनाव जीतना तय माना जाता है. कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार ही है. कर्नाटक दक्षिण भारत का इकलौता ऐसा दुर्ग था, जिस पर बीजेपी का कब्जा था लेकिन वह भी चला गया. आइए जानते हैं गांधी परिवार और दक्षिण भारत का रिश्ता इतना अटूट क्यों है.

इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी, रायबरेली से चुनाव हार गई थीं. ऐसा लग रहा था कि अब उनका राजनीतिक जीवन खत्म होने वाला है. साल 1978 में चिकमंगलूर से चुनाव लड़ी थीं. उन्हें जनता ने साथ दिया और चुनाव जीत गईं. साल 1980 में आंध्र प्रदेश के मेडक सीट से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्हें प्रचंड जीत हासिल हुई. 

सोनिया गांधी

सोनिया गांधी साल 1999 में दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ी थीं. उन्होंने अमेठी और बेल्लारी लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश की. दोनों जगहों से वे जीत गई थीं. उन्होंने बेल्लारी छोड़ दी. गांधी परिवार दक्षिण भारत छोड़ता रहा है लेकिन दक्षिण भारत ने कभी गांधी परिवार को निराश नहीं किया. 

राहुल गांधी

वायनाड की जनता ने राहुल गांधी को बहुत प्यार दिया है. यूपी के सियासी हालात ऐसे हैं कि अगर राहुल गांधी टिके नहीं तो एक बार फिर वे 1 सीट पर सिमट सकते हैं. ऐसे में उन्होंने प्रियंका गांधी को वायनाड भेजा और खुद रायबरेली टिक गए.  साल 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को आंतरिक सर्वे में यह पता चल चुका था कि उनके खिलाफ लहर है और से वहां से नहीं चुने जाएंगे. वे वायनाड गए और चुन लिए गए. 

क्यों कांग्रेस जाती है दक्षिण?

दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी बेहद कमजोर है. पहली बार केरल में खाता तो खुल गया लेकिन जीतने की स्थिति नहीं है. कांग्रेस एक बार फिर कर्नाटक में सत्ताधारी पार्टी है. कांग्रेस की सरकार तेलंगाना में है. तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है. तमिलनाडु में कुल 39 लोकसभा सीटें हैं. 

DMK ने यहां 22 सीटें जीत लीं, वहीं कांग्रेस ने 9 सीटें जीत ली हैं. कर्नाटक में कांग्रेस का दबदबा है. कांग्रेस के पास यहां 9 लोकसभा सीटें हैं. केरल में कांग्रेस के पास 14 सीटें हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे साफ बताते हैं कि कांग्रेस, उत्तर से ज्यादा दक्षिण में मजबूत है. आइए इसकी क्रमवार वजहें जान लेते हैं.

- दक्षिण भारत में गांधी परिवार की सार्वजनिक स्वीकृति है. कांग्रेस का सेक्युलर एजेंडा लोगों को पसंद आता है. 
- दक्षिण भारत में पेरियार और दूसरे समाज सुधारकों के आंदोलनों का ऐसा असर है कि वहां के लोग बीजेपी के हिंदुत्व को पसंद नहीं करते हैं.
- दक्षिण भारतीय राज्यों में कांग्रेस की मजबूत स्थिति है. वहां उत्तर भारत की तरह कार्यकर्ताओं का अभाव नहीं है. 
- लोग अतिवादी लेफ्ट की तुलना में कांग्रेस को ज्यादा अपने विचारों के करीब पाते हैं. 
- दक्षिण भारत में अल्पसंख्यक वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. ईसाई और मुस्लिम समाज कांग्रेस से जुड़ा है और कांग्रेस का सर्व धर्म समभाव रुख वोटरों को लुभाता है.
- कांग्रेस का राजनीतिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष रवैया, नेताओं के शालीन भाषण, दक्षिण भारत के लोगों को पसंद आते हैं. उत्तर के हिंदी भाषी राज्यों में हिंदुत्व प्रमुख एजेंडा है लेकिन ऐसी स्थिति दक्षिण में नहीं है. लोग वहां उदारवादी हैं और कांग्रेस के हमेशा वहां प्रासंगिक रहने की एक वजह यह भी है.