नागालैंड की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है. जिसमें केंद्र के डेढ़ साल पुराने आदेश को चुनौती दी गई है. दरअसल, केंद्र सरकार ने 30 सेना के जवानों के खिलाफ केस चालने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. सेना पर एक आपरेशन में 13 नाररिकों की हत्या के आरोप में केस दर्ज किया गया था. 4 दिसंबर, 2021 को मोन जिले में आतंकवादियों पर घात लगाने के असफल ऑपरेशन में आम नागरिक मारे गए थे.
नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष पेश करते हुए, राज्य के महाधिवक्ता केएन बालगोपाल ने कहा कि राज्य पुलिस के पास एक मेजर सहित सैन्यकर्मियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, लेकिन केंद्र ने मनमाने ढंग से उनके अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है.
नागालैंड सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार में सक्षम प्राधिकारी ने बिना सोचे-समझे और जांच के दौरान विशेष जांच दल (राज्य पुलिस) द्वारा एकत्र की गई पूरी सामग्री का अध्ययन किए बिना, मनमाने ढंग से और जनहित के खिलाफ आरोपी सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. पीठ ने केंद्र और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने 21 पैरा (विशेष बल) की अल्फा टीम से जुड़े सशस्त्र बल कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी. आरोपियों की पत्नियों ने याचिका दायर की थी कि उनके पतियों पर केंद्र से अभियोजन के लिए अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना ही मुकदमा चलाया जा रहा है. उन्होंने एफआईआर को रद्द करने की भी मांग की थी. केंद्र ने पिछले साल 28 फरवरी को इन कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
राज्य ने कहा कि सेना की घात लगाने वाली टीम ने कोयला खनिकों को ले जा रही एक बोलेरो पिकअप गाड़ी पर बिना किसी वॉर्निंग के या उनसे पहचान पूछे ही गोलीबारी कर दी. इसने घात लगाने वाली टीम के इस दावे का हवाला दिया कि उन्होंने मारे गए लोगों की सकारात्मक पहचान की थी क्योंकि वे बंदूक और हथियार लेकर चल रहे थे, गहरे रंग के कपड़े पहने हुए थे और जल्दी से वाहन में चढ़ गए थे.
शुरुआती घात में छह नागरिकों के मारे जाने के बाद, गुस्साए ग्रामीणों ने सेना के साथ झड़प की, जिसके परिणामस्वरूप सात अन्य ग्रामीणों और एक सैनिक की मौत हो गई. एसआईटी द्वारा एकत्र किए गए पूरे साक्ष्य को अभियोजन की मंजूरी के लिए 24 मार्च, 2022 को नई दिल्ली में सैन्य मामलों के विभाग को भेजा गया था.