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हिमाचल सीएम सुक्खू पर क्यों लगता है 'मित्रों की सरकार' चलाने का आरोप, बीजेपी के इन आरोपों में कितना दम?

भाजपा लगातार आरोप लगाती रही है कि हिमाचल सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू मित्रों की सरकार चला रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि सुक्खू ने अपने कई मित्रों को कैबिनेट रैंक दे रही है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि राज्य पर 80,000 करोड़ का कर्ज है, इसके बावजूद सीएम सुक्खू अपने दोस्तों को कैबिनेट रैंक देकर राज्य के धन को लुटा रहे हैं और राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं.

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Sukhwinder Singh Sukhu
Courtesy: social media

Himachal News: 2022 में जब से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश की सत्ता संभाली है तब से बीजेपी सुक्खू पर "मित्रों की सरकार" चलाने का आरोप लगाती रही है, क्योंकि उन्होंने राज्य में कैबिनेट रैंक वाले पदों पर अपने सहयोगियों को प्राथमिकता दी है. शुक्रवार को सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान, जो भाजपा के निशाने पर हैं, ने सवाल किया कि सकंट के समय साथ खड़े रहने वाले दोस्तों की मदद करने में क्या गलत है. उन्होंने कहा, 'भाजपा बार-बार 'मित्रों की सरकार' की बात कर रही है, क्या दुश्मनों को सरकार में जगह देनी चाहिए?' उन्होंने हमीरपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बात कही.

भाजपा के इन आरोपों में कितना दम

दरअसल मामला ये है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के चार दोस्तों को प्रदेश में कैबिनेट रैंक का दर्जा हासिल है जबकि ये चारों जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं. इन चारों को मंत्रियों के समान सारी सुविधाएं व आर्थिक लाभ दिए जा रहे हैं, जिसके कारण सुक्खू बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा, 'राज्य पर इस समय 80,000 करोड़ का कर्ज है, ऐसे समय में सीएम द्वारा अपने दोस्तों को कैबिनेट रैंक का दर्जा देकर उन्हें अनुचित आर्थिक लाभ देकर राज्य के वित्तीय बोझ को और बढ़ाना कितना सही है? राज्य की खनन नीति में संशोधन किया गया ताकि सुक्खू के सहयोगियों को फायदा मिल सके. 2023 की बाढ़ के बाद कई स्टोन क्रशर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई लेकिन कांग्रेस से स्वामित्व वाले स्टोन क्रशर्स को हाथ तक नहीं लगाया गया. हमने 6 मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति को लेकर भी याचिका दायर की है.' ठाकुर ने कहा कि हाई कोर्ट उनकी याचिका को बरकरार रखने के लिए बाध्य है.

ठाकुर ने आगे कहा कि मित्रों की सरकार का नारा खुद कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ही दिया था क्योंकि सुक्खू ने अपने दोस्तों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें किनारे कर दिया था.

किन लोगों पर साधा जा रहा निशाना
सुक्खू ने जिन चार लोगों को कैबिनेट रैंक का दर्जा दिया है उनमें चौहान, आईटी और इनोवेशन के लिए सुक्खू के प्रधान सलाहकार गोकुल बुटेल, सुक्खू के राजनीतिक सलाहकार सुनील कुमार बिट्टू और हिमाचल प्रदेश राज्य वन विभाग विकास के उपाध्यक्ष केहर सिंह खासी शामिल हैं.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि चौहान सुक्खू के पुराने साथी हैं, वहीं गोकुल बुटेल लंबे समय से कांग्रेस के साथ हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं, वहीं खासी को प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी माना जाता है.

चार विधायकों को भी कैबिनेट रैंक हासिल

इसके अलावा सीएम सुक्खू ने जिन चार विधायकों को कैबिनेट रैंक हासिल है, उनमें नगरोटा के विधायक आरएस बाली (जो HPTDC के चेयरमैन हैं), रामपुर के विधायक नंद लाल (7वें राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष), फतेहपुर विधायक भवानी सिंह पठानिया (राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष) और शाहपुर विधायक केवल सिंह पठानिया (सरकार के मुख्य व्हिप) शामिल हैं.

इनके अलावा सुक्खू के दो और सहयोगी भी हैं जिन्हें कैबिनेट रैंक तो हासिल नहीं है लेकिन उन्हें कैबिनेट रैंक जितनी ही सुविधाएं मिलती हैं. उनमें राम सुभाग सिंह (सुक्खू के प्रमुख सलाहकार) और अनिल कपिल (सलाहकार, बुनियादी ढांचा) शामिल हैं.

6 मुख्य संसदीय सचिव भी भाजपा के निशाने पर
इसके अलावा सुक्खू के 6 मुख्य संसदीय सचिव भी भाजपा के निशाने पर हैं. इनमें सुरिंदर सिंह ठाकुर, मोहन लाल ब्राक्टा, राम कुमार, आशीष बुटेल, किशोरी लाल और संजय अवस्थी शामिल हैं. हालांकि इन्हें कैबिनेट रैंक नहीं दी गई है लेकिन इन्हें सरकारी आवास, सरकारी वाहन, लोगों की समस्याएं सुनने और उनके समाधान के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आदेश देने का अधिकार प्राप्त है. बीजेपी की सरकार में कोई भी मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त नहीं किया गया था.