'किसी को राहुल गांधी नाम रखने से रोक नहीं सकते...', आखिर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कह दिया?

Supreme Court on Namesake Candidates: चुनावों में हमनाम उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगर राजनीतिक नेताओं के नाम पर नाम हैं तो वह लोगों को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकता.

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Supreme Court on Namesake Candidates: सुप्रीम कोर्ट में चुनाव के दौरान हमनाम उम्मीदवारों पर बैन लगाने को लेकर दायर एक याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ना हर किसी का संवैधानिक अधिकार है और सिर्फ नाम एक जैसा होने की वजह से हम किसी को भी चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इंकार

याचिकाकर्ता साबू स्टीफन ने इस मुद्दे को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि मतदाताओं को गुमराह करने के लिए हाई-प्रोफाइल सीटों पर एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों को खड़ा किया जाता है. याचिकाकर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे उम्मीदवारों की मौजूदगी के कारण अक्सर भारी भरकम उम्मीदवारों को मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ता है. 

याचिका में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के हित में इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है. वहीं इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा, 'अगर माता-पिता ने उम्मीदवारों को समान नाम दिए हैं, तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? जैसे राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव.'

आखिर क्या है नामधारी उम्मीदवारों का मामला

हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगाया और उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी. नामधारी उम्मीदवार एक पुरानी चुनावी चाल का हिस्सा हैं जिसमें किसी दिग्गज के समान नाम वाले उम्मीदवारों को प्रतिद्वंद्वी पार्टियों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है. विचार यह है कि मतदाताओं को भ्रमित किया जाए और उन्हें हमनामों के लिए वोट दिया जाए, जिससे प्रभावशाली ढंग से दिग्गजों को नुकसान पहुंचाया जा सके.

ठाकरे-पन्नीरसेल्वम की सीट पर कई ऐसे उम्मीदवार

एक मामला तमिलनाडु की रामनाथपुरम लोकसभा सीट का है. पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम, जिन्हें ओपीएस के नाम से भी जाना जाता है, इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व एआईडीएमके नेता के अलावा, उम्मीदवारों की सूची में चार अन्य पन्नीरसेल्वम हैं. वे हैं ओचप्पन पन्नीरसेल्वम, ओय्या थेवर पन्नीरसेल्वम, ओचा थेवर पन्नीरसेल्वम और ओय्याराम पन्नीरसेल्वम - ये सभी निर्दलीय उम्मीदवार हैं.

यह प्रयोग अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है. महाराष्ट्र की रायगढ़ सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अनंत गीते को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला एनसीपी के सुनील तटकरे से है. लेकिन दो और अनंत गीते ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने के लिए हस्ताक्षर किए हैं.