महाराष्ट्र के तेज-तर्रार नेता बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना से 2005 में राज ठाकरे के अलग होने ने पार्टी को बड़ा झटका दिया. "मैंने सिर्फ सम्मान मांगा था, लेकिन मुझे अपमान और तिरस्कार मिला," राज ठाकरे ने भावुक होकर शिवसेना छोड़ने की घोषणा करते हुए कहा. हालांकि, 20 साल बाद ठाकरे चचेरे भाई पुरानी कटुता को पीछे छोड़कर नई शुरुआत के संकेत दे रहे हैं.
बाल ठाकरे के उत्तराधिकारी का विवाद
रमेश किनी की मौत और राज की छवि
23 जुलाई 1996 को पुणे के एक सिनेमाघर में दादर निवासी रमेश किनी मृत पाए गए. उनके सुसाइड नोट में उल्लेख था कि उनके वकील को उनकी आत्महत्या का कारण पता है. वकील ने बताया कि किनी को उनके मकान मालिक लक्ष्मीचंद शाह और सुमन शाह परेशान कर रहे थे. शाह परिवार शिवसेना के करीबी था, और किनी की पत्नी ने राज ठाकरे पर संलिप्तता का आरोप लगाया. सीबीआई ने बाद में राज को क्लीन चिट दी, लेकिन उनकी छवि को नुकसान पहुंचा.
उद्धव का नेतृत्व और मतभेद
2003 में महाबलेश्वर में एक शिवसेना कार्यक्रम में राज ने उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया. यह कदम भाइयों के बीच सब ठीक होने का संदेश देने के लिए था, लेकिन जल्द ही मतभेद उभरे. राज के समर्थकों ने दावा किया कि उन्हें हाशिए पर धकेला जा रहा है. इसके अलावा, राज उत्तर भारतीय प्रवासियों की आलोचना कर रहे थे, जबकि उद्धव ने 'मी मुंबईकर' अभियान शुरू किया, जो सभी राज्यों के लोगों को शामिल करता था. यह वैचारिक टकराव था.
राज का शिवसेना से अलगाव
18 दिसंबर 2005 को शिवाजी पार्क जिमखाना में 36 वर्षीय राज ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैं अपने सबसे बुरे दुश्मन के लिए भी आज जैसा दिन नहीं चाहूंगा. मैंने सिर्फ सम्मान मांगा था, लेकिन मुझे अपमान और तिरस्कार मिला." उसी दिन, बांद्रा में ठाकरे निवास मातोश्री पर उद्धव ने कहा, "राज का निर्णय एक गलतफहमी का परिणाम है." 2006 में, राज ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना की.