दिल्ली में राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा को दिल्ली कैबिनेट में मंत्री बनाए जाने की खबर ने पंजाब की राजनीति में हलचल मचा दी है. सिरसा, जो एक सिख समुदाय से हैं, की नियुक्ति को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए पंजाब के सिख मतदाताओं का समर्थन प्राप्त करने की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है.
सिरसा की नियुक्ति और पंजाब में प्रतिक्रिया
भाजपा की रणनीति और सिख समुदाय का समर्थन
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हरजीत सिंह ग्रेवाल ने इस नियुक्ति पर कहा, "पंजाब के मतदाता हर विकास को बारीकी से देख रहे हैं और वे देख रहे हैं कि दिल्ली सरकार में सिख समुदाय को प्रतिनिधित्व मिल रहा है. अब जब शिरोमणि अकाली दल (SAD) का असर दिल्ली में कम हुआ है, तो पंजाब के लोग भी भाजपा से जुड़ रहे हैं." ग्रेवाल का कहना था कि 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों में इसका असर साफ दिखाई देगा.
दिल्ली के सिख समुदाय में सिरसा की भूमिका
पंजाब भाजपा प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावल का कहना है, "दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सिखों को जो प्रतिनिधित्व मिला है, वह पंजाब में सिख समुदाय को एक मजबूत संदेश दे रहा है. दिल्ली के सिखों को अब अपने मुद्दों के लिए एक आवाज मिली है. भाजपा ने सिख समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलना और वीर बाल दिवस मनाना."
सिरसा की राजनीति और SAD से BJP तक का सफर
मनजिंदर सिंह सिरसा पहले शिरोमणि अकाली दल (SAD) से जुड़े हुए थे और पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ मंच साझा करते थे. 2013 में सिरसा ने राजौरी गार्डन सीट से SAD उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था, लेकिन 2015 में उन्हें AAP के उम्मीदवार जर्नैल सिंह से हार का सामना करना पड़ा. 2017 में, जब जर्नैल सिंह ने लांबी से चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन सीट से इस्तीफा दिया, तो सिरसा ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
सिरसा के भाजपा में शामिल होने के बाद, दिल्ली में SAD के कई प्रमुख नेताओं ने भाजपा जॉइन कर लिया, जिससे दिल्ली में SAD की स्थिति कमजोर हो गई. अब भाजपा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में सिरसा की महत्वपूर्ण भूमिका है.
पंजाब भाजपा और SAD के भीतर खींचतान
वर्तमान में पंजाब भाजपा में कई संगठनात्मक बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी के राज्य अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं, SAD भी पंजाब में अपनी आंतरिक कलह से जूझ रहा है. इस राजनीतिक उथल-पुथल का असर आने वाले दिनों में भाजपा पर भी पड़ सकता है, और यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा इस स्थिति का फायदा कैसे उठाती है.