Shimla Agreement Story: साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. इसमें भारतीय सेना ने पाक आर्मी को धूल चटा दी और पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए. इसी युद्ध के कारण स्वतंत्र बांग्लादेश का जन्म हुआ. इस युद्ध के करीब 6 महीने बाद यानी 2 जून 1972 को हिमाचल की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान से जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच एक समझौता हुआ. इसी को शिमला एग्रीमेंट या शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. इसमें दोनों देशों ने कई मुद्दों पर एक राय बनाई. आज वही दिन है, ऐसे में आइये जानते हैं शिमला एग्रीमेंट की पूरी कहानी
1971 के युद्ध में पाकिस्तान बुरी तरह से हार गया. इसके बाद इंदिरा गांधी ने मित्र देशों के पहल पर नए रिश्तों की शुरुआत करने की कोशिश की थी. हालांकि, पाकिस्तान को भी ऐसी पहल की सख्त जरूरत थी. इसके लिए रणनीति बनाई गई और कई प्रयासों और दौरों के बाद 2 जुलाई, 1972 की रात शिमला समझौते पर दस्तखत किए गए.
युद्ध में हार के बाद पाकिस्तान काफी हद तक टूट चुका था. वो भारत के साथ समझौता करना चाहता था लेकिन वहां की सरकार और राजनीतिक स्थिति के कारण इंदिरा गांधी इसके लिए तैयार नहीं थी. बाद में पाकिस्तान, रूस से भारत के साथ बात करने की मांग किया. हालांकि, इन सभी के बाद भी इंदिरा गांधी को मानने में करीब 6 माह का समय लगा. जब वो मान गई तो 28 जून से वार्ता शुरू हुई और शिमला समझौते के लिए जमीन तैयार की गई.
1972 के शिमला समझौते के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 28 जून से बातचीत शुरू हुई थी. इसके बाद 1 जुलाई तक कई दौर की वार्ता हुई. इसमें कश्मीर से जुड़े विवादों पर आपसी बातचीत, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध के साथ व्यापार को लेकर रजामंदी बनाई गई. आखिरकार तमाम कोशिशों के बाद 2 जुलाई 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच समझौता हो गया.
शिमला समझौते बाद भी पाकिस्तान में कोई बदलाव नहीं हुआ. 1989 से वो कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित करना शुरू कर दिया. पाकिस्तान की सेना ने 1999 में कारगिल में घुसपैठ की जो फिर एक युद्ध में बदल गया. यहां भी उसे हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कई आतंकी हमले हुए.
26 नवंबर 2008 में मुंबई हमले के बाद भारत कड़ा रुख अपने लगा और सारी बातचीत बंद कर दी. 2014 के बाद बातचीत के कुछ प्रयास हुए लेकिन फिर वो ठंडे बस्ते में चले गए. 2019 में पुलवामा हमले और फिर सर्जिकल स्ट्राइक ने तल्खी और बढ़ा दी. उसके बाद 370 को खत्म कर दिया गया. इस तरह से शिमला समझौते का अस्तित्व खत्म हो गया.