दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का नाम बुधवार को घोषित किया गया, हालांकि यह उनका पहली बार विधायक बनने का मौका है, लेकिन राजनीति में उनका लंबा अनुभव रहा है. बीजेपी ने उन्हें अन्य प्रमुख चेहरों, जिनमें पार्वेश वर्मा जैसे दिग्गज भी शामिल थे, को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली का मुख्यमंत्री चुना. इस कदम के पीछे बीजेपी कई मोर्चों पर लाभ उठाने की कोशिश कर रही है.
41 वर्षीय रेखा गुप्ता ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग सीट पर लगभग 30,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. गुप्ता दिल्ली बीजेपी की उन नेताओं में से एक थीं, जिन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा था.
बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री क्यों चुना?
बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर महिला मुख्यमंत्री की परंपरा को आगे बढ़ाने की कोशिश की है, साथ ही आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल को एक विपरीत उदाहरण के रूप में पेश किया है.
दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री के रूप में एक लंबी परंपरा रही है, जिसमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन शामिल है. इसके अलावा, दिल्ली की अन्य महिला मुख्यमंत्री में AAP की अतिशी और बीजेपी की सुषमा स्वराज भी शामिल हैं.
अतिशी, जो कि दिल्ली विधानसभा की विधायक हैं, ने 2024 के सितंबर में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद पांच महीने तक मुख्यमंत्री का पद संभाला. वहीं, सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं. उन्हें बीजेपी ने चुनावों से पहले स्थिति को संभालने के लिए लाया था, लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.
यदि हम दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के इतिहास पर नजर डालें, तो 15 साल महिला मुख्यमंत्री के रूप में रहे हैं, और यह संभावना जताई जा रही है कि अगले 5 साल भी महिला मुख्यमंत्री के रूप में ही होंगे. आतिशी का पांच महीने का कार्यकाल जोड़ने पर, केजरीवाल का दस साल का कार्यकाल और भी अधिक विपरीत दिखता है.
महिला वोटरों पर ध्यान
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने से बीजेपी महिला वोटरों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, जो पिछले चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे. दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने नौ महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से चार ने जीत हासिल की.
2025 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की मतदान दर पुरुषों से अधिक रही. महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत 60.92% था, जबकि पुरुषों का 60.21% था. बीजेपी ने महिलाओं के लिए कई वादे किए थे, जिसमें महिला समृद्धि योजना के तहत 2,500 रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता, मुफ्त बस यात्रा, और गर्भवती महिलाओं के लिए 21,000 रुपये और छह पोषण किट देने का वादा शामिल था.
बीजेपी ने महिलाओं के वोट बैंक को देखते हुए अपना चुनावी घोषणापत्र भी महिलाओं के लिए योजनाओं से भरा रखा था. उन्होंने दिल्ली के अस्पतालों में मुफ्त स्तन, गर्भाशय, और ओवेरियन कैंसर की स्क्रीनिंग जैसी योजनाओं का भी ऐलान किया था.
साफ सुथरी छवि
जहां तक रेखा गुप्ता का सवाल है, वे दिल्ली बीजेपी के नेताओं रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं से अलग रही हैं, जिनके नाम विवादों से जुड़े रहे हैं. रेखा गुप्ता का नाम किसी बड़े विवाद में नहीं आया, और वे एक नई चेहरा हैं, क्योंकि उन्होंने कभी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. बीजेपी ने रेखा गुप्ता को एक ताजगी के साथ दिल्ली के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने के लिए उपयुक्त पाया.
रेखा गुप्ता राजनीतिक दृष्टि से एक अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने पार्टी में लंबा समय बिताया है और बीजेपी से जुड़ी हुई हैं. उनका मुख्यमंत्री के रूप में नामांकन यह दिखाता है कि बीजेपी ने न केवल एक महिला नेता का चयन किया है, बल्कि एक गैर-विवादास्पद और ताजे चेहरा भी चुना है.