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बीरेन सिंह ने क्यों दिया इस्तीफा? क्या मणिपुर में लगेगा राष्ट्रपति शासन? जानें हर सवाल का जवाब

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार, 9 फरवरी को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उनका यह कदम राज्य में जारी जातीय हिंसा के कारण उठाया गया, जो पिछले दो वर्षों से लगातार बढ़ रही थी और जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Why did Biren Singh resign Will President rule be imposed in Manipur

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार, 9 फरवरी को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उनका यह कदम राज्य में जारी जातीय हिंसा के कारण उठाया गया, जो पिछले दो वर्षों से लगातार बढ़ रही थी और जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है और राज्य के भविष्य में क्या बदलाव आ सकते हैं.

बीरेन सिंह ने क्यों दिया इस्तीफा

बीरेन सिंह ने अपना इस्तीफा मणिपुर के राज्यपाल को भेजते हुए लिखा, “मणिपुर की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही. मैं केंद्रीय सरकार का आभारी हूं जिसने समय पर हस्तक्षेप किया और राज्य के विकास कार्यों को आगे बढ़ाया.” उन्होंने अपने इस्तीफे में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने, सीमा पार घुसपैठ पर नियंत्रण, और मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने जैसी योजनाओं का उल्लेख किया. उनका इस्तीफा ऐसे समय पर आया जब राज्य में जातीय हिंसा चरम पर थी और विपक्ष ने लगातार उनकी हटाने की मांग की थी.

इस्तीफे के पीछे की वजह
विधायकों का समर्थन कम होना: सूत्रों के अनुसार, बीरेन सिंह को भाजपा के विधायकों का समर्थन धीरे-धीरे कम होता जा रहा था. कई विधायक दिल्ली में पार्टी नेताओं से मिले थे और अपने असंतोष का इज़हार किया था.

विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव: मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष केइशम मेघचंद्रा ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. इसके बाद ही बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया.

केंद्र से दबाव: विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर का दौरा करने और राज्य में शांति की बहाली के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था. इसके अलावा, राज्य में बढ़ते तनाव के कारण संसद में भी मणिपुर को लेकर हंगामा हुआ था.

मणिपुर में चल रही स्थिति
मणिपुर में मेटेई समुदाय और कूकी-ज़ो समूहों के बीच लगातार संघर्ष जारी है. मई 2023 से शुरू हुए इस हिंसक संघर्ष में 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं. हिंसा का मुख्य कारण मेटेई समुदाय का अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा हासिल करने की मांग है, जो विरोध प्रदर्शनों और संघर्षों का कारण बनी.

राज्य में इंटरनेट सेवा को कई बार निलंबित किया गया और कर्फ्यू भी लगाया गया. इस दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मणिपुर में महिलाओं के साथ असमान्य व्यवहार होते हुए दिखाई दिए थे, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई.

बीरेन सिंह की भूमिका और विवाद
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ एक गोपनीय फोरेंसिक रिपोर्ट की मांग की थी, जिसमें कहा गया था कि बीरेन सिंह ने मेटेई समूहों को सरकारी हथियारों को लूटने की अनुमति दी थी. यह मामला और आरोप मणिपुर में हिंसा के बढ़ने में उनकी कथित भूमिका को लेकर और विवादों का कारण बने.

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की संभावना?
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में क्या होगा, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है. हालांकि, इस समय राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

केंद्र सरकार मणिपुर में शांति की बहाली के लिए कदम उठा सकती है. राज्यपाल ने बीरेन सिंह के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह भी कहा है कि वह तब तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे जब तक कि एक नया मुख्यमंत्री नियुक्त नहीं किया जाता.

राष्ट्रपति शासन कब लागू हो सकता है?

राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जा सकता है जब राज्य सरकार संविधान के तहत अपनी कार्यप्रणाली में विफल हो जाती है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत संभव है, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी राज्य में सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थ होती है, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है.

यदि मणिपुर में किसी कारणवश एक नए मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं हो पाता है या राज्य में सरकार का संचालन ठीक से नहीं हो पाता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

भविष्य में मणिपुर में क्या हो सकता है?
मणिपुर में अगले कुछ दिनों में नए मुख्यमंत्री का चयन हो सकता है, हालांकि राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है. भाजपा को उम्मीद है कि बीरेन सिंह का इस्तीफा राज्य में शांति की दिशा में एक कदम हो सकता है.

इस बीच, मणिपुर विधानसभा का बजट सत्र स्थगित कर दिया गया है और केवल नया मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद ही सत्र की शुरुआत की जाएगी. मणिपुर के लोग अब शांति की वापसी और स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं.