लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को झटका दिया है. यह झटका पतन का कारण न बने इसलिए बीजेपी ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं. कई राज्यों में सफलतापूर्वक चुनावी अभियान की अगुवाई करने वाली भूपेंद्र यादव को इस बार भी अहम जिम्मेदारी मिली है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने भूपेंद्र यादव को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी बनाया गया है. लंबे समय से बीजेपी के लिए काम कर रहे भूपेंद्र यादव के लिए इस बार चुनौती बहुत बड़ी है लेकिन भूपेंद्र यादव ने हर बार खुद को ऐसी चुनौतियों में साबित किया है. बीते 10-12 साल में भूपेंद्र यादव को जहां-जहां चुनाव का काम दिया गया है, बीजेपी ने लगभग हर जगह जीत हासिल की है.
अब बीजेपी ने एक बार फिर से भूपेंद्र यादव पर भरोसा जताया है. भूपेंद्र यादव को इस बार ऐसा राज्य दिया गया है, जहां लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगा है. हार की जिम्मेदारी लेते हुए पूर्व सीएम और मौजूदा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं. वहीं, महा विकास अघाड़ी बनाकर बीजेपी को पटखनी देने वाले कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) ने विधानसभा चुनाव में भी साथ उतरने का ऐलान कर दिया है. दूसरी तरफ, चर्चाएं हैं कि बीजेपरी यह तय नहीं कर पा रही है कि वह अजित पवार का साथ छोड़े या उनके साथ ही विधानसभा चुनाव में उतर जाए. ऐसे में भूपेंद्र यादव के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी है. एक तरफ उन्हें केंद्रीय मंत्री का काम भी संभालना है, दूसरी तरफ बीजेपी को महाराष्ट्र में भी मजबूत करना है.
मूलरूप से हरियाणा के गुरुग्राम जिले के जमालपुर के निवासी भूपेंद्र यादव की पहचान राजस्थान से जुड़ी रही है. वह राज्यसभा भी राजस्थान से ही गए और इस बार लोकसभा का चुनाव भी राजस्थान की अजमेर सीट से ही जीता है. उनकी पढ़ाई-लिखाई अजमेर से ही हुई. राजनीति में आने से पहले भूपेंद्र यादव सुप्रीम कोर्ट में वकील हुआ करते थे. छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे भूपेंद्र यादव साल 2000 में एबीवीपी के महासचिव हुआ करते थे. साल 2010 में वह बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बने. 2012 में पहली बार वह राज्यसभा के सांसद बने और तब से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं.
भूपेंद्र यादव को पहला बड़ा काम राजस्थान में ही मिला. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें राजस्थान में काम पर लगाया गया. संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले भूपेंद्र यादव ने पर्दे के पीछे से अच्छी भूमिका निभाई और बीजेपी की वापसी करवाई. भूपेंद्र यादव की खूब तारीफ हुई और अगले साल यानी 2014 में झारखंड के चुनाव में उन्हें भेज दिया गया. यहां भी भूपेंद्र यादव लकी साबित हुए और झारखंड की सत्ता में बीजेपी की वापसी करवाई.
2015 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में सबकुछ बदला हुआ था. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी मिलकर चुनाव लड़ रही थी. ऐसे में बीजेपी अकेली हो गई थी. इस चुनाव में बीजेपी ने भूपेंद्र यादव के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी दी. हालांकि, सांगठनिक रूप से बीजेपी बिहार में तब उतनी मजबूत नहीं थी. नतीजा यह हुआ कि बीजेपी औंधे मुंह गिरी और लालू-नीतीश की जोड़ी ने एकतरफा जीत हासिल कर ली.
हालांकि, इस हार के बावजूद बीजेपी का भरोसा भूपेंद्र यादव से कम नहीं हुआ. वह अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. यही वजह रही कि 2017 में भूपेंद्र यादव को उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में चुनाव का काम मिला. इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने सरकार बनाई. एक बार फिर भूपेंद्र यादव की जमकर तारीफ हुई. 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी भूपेंद्र यादव ही प्रभारी थे. तब शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन ने जीत हासिल की थी.
2023 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव बीजेपी के लिए चुनौती भरे कहे जा रहे थे. बीजेपी शिवराज सिंह चौहान को हटाने का मूड बना चुकी थी और इसका संदेश नीचे तक जा रहा था. इसके बावजूद भूपेंद्र यादव ने संगठन को संभाला और बीजेपी को जीत दिलाई. कहा जाता है कि भूपेंद्र यादव को आगे लाने और मुख्यमंत्री बनाने में भी भूपेंद्र यादव की अहम भूमिका रही है. यह भी कहा जाता है कि जिन राज्यों में भूपेंद्र यादव को भेजा जाता है, वहां पर वह अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंख और कान बनकर काम करते हैं. इसके चलते उनके फीडबैक को बहुत गंभीरता से भी लिया जाता है.