नई दिल्ली: बिहार में सियासी उठापटक की धुंधली तस्वीर अब साफ होने लगी है. माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार CM पद से आज इस्तीफा दे सकते है. CM नीतीश के इस्तीफा देने के साथ नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो जाएगी. नई सरकार की तस्वीर क्या होगी, इसको भी लेकर तमाम तरह चर्चाएं चर्चा के केंद्र में है. अभी तक की जो सियासी तस्वीर उभर कर सामने आयी है, उसके मुताबिक बिहार में नई सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ही होंगे, वहीं BJP कोटे से उनके साथ दो बीजेपी नेता डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ले सकते है.
सियासी चर्चाओं की मानें तो सुशील मोदी और रेणु देवी नई सरकार में नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं. इसके साथ ही डिप्टी CM की रेस में सम्राट चौधरी, पूर्व डिप्टी सीएम तारकीशोर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय का नाम रेस में आगे बताया जा रहा है. चर्चा ये भी है कि बीजेपी किसी नये चेहरे को आगे करके बड़ा चुनावी मास्टर स्ट्रोक खेल सकता है. तमाम नामों के दावेदारों के बीच सुशील मोदी और रेणु देवी का आखिरकार रेस में क्यों आगे बताया जा रहा है.
दरअसल सुशील मोदी BJP-JDU सरकार के दौरन करीब 13 साल उप मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाते रहे हैं. वे बिहार कैबिनेट में वित्त मंत्री भी रह चुके हैं. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच किसी भी तरह के मनमुटाव की खबर सामने नहीं आई. दोनों के बीच की केमिस्ट्री अच्छी मानी जाती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी नजदीकी और काम करने के सामंजस्य के चलते उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. सुशील मोदी के पक्ष में दूसरी बात यह जाती है कि मारवाड़ी (वैश्य बनिया) से आते है. ऐसे में मााना जा रहा है कि अगर BJP अति पिछड़ा नोनिया समाज से रेणु देवी के नाम को डिप्टी CM के तौर पर आगे करती है तो सामान्य वर्ग से सुशील मोदी के चेहरे के जरिये BJP समाजिक समीकरण को साध सकती है. सुशील मोदी को उप मुख्यमंत्री बनाये जाने से बीजेपी का कैडर वोटर वैश्य बिरादरी के अंदर भी अच्छा संदेश जाएगा.
दूसरे CM के चेहरे के तौर पर अति पिछड़ा वर्ग के नेता को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. जिसमें रेणु देवी का नाम रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है. वह अति पिछड़ा नोनिया समाज से आती हैं और BJP-JDU सरकार के दौरान वो बिहार की डिप्टी सीएम भी रह चुकी हैं. रेणु देवी के नाम को आगे करके अतिपिछड़ा वर्ग के साथ महिला वर्ग को साधने की बीजेपी की बड़ी रणनीति हो सकती है. आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार में नोनिया, बिंद, मल्लाह, तुरहा जैसी अतिपिछड़ी जाति को बीजेपी से जोड़ने में रेणु देवी का नाम बड़ा चुनावी ट्रंप कार्ड साबित हो सकती है.