BJP President Race: लोकसभा चुनाव 2024 में NDA की भारी जीत के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन गए हैं. उन्होंने मंत्रिमंडल का गठन कर अपना कार्यभार संभाल लिया है. इसके साथ ही उन्होंने मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया है. मोदी कैबिनेट में इस बार भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डी भी शामिल हैं. ऐसे में अब पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर भी कयास तेज हो गए हैं. सियासी गलियारों में कई नाम चल रहे हैं. इसमें से एक नाम कद्दावर नेता विनोद तावड़े का भी है. माना जा रहा है पार्टी आगे की रणनीति के तहत इनके नाम पर दांव लगा सकती है.
बता दें भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा को पहले ही पार्टी ने एक्सटेंशन दिया था. अब चुनाव खत्म हो गए हैं. इसके साथ ही वो मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए हैं. ऐसे में पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश करने लगी है. सियासी गलियारों में कयासों के साथ कई नामों पर चर्चा चल रही है. आइये जानें रेस में कितने नाम हैं और इनमें विनोद तावड़े का नाम आगे क्यों हैं?
सियासी जानकारों की माने तो पार्टी के अध्यक्ष की रेस में कई नेताओं के नाम चल रहे हैं. इसमें मध्य प्रदेश के आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते, हिमाचल के युवा नेता अनुराग ठाकुर, उत्तर प्रदेस के प्रभारी रहे सुनील बंसल के साथ ही दक्षिण भारत के कुछ नाम जैसे तेलंगाना से ओबीसी मोर्चा चीफ के लक्ष्मण का नाम शामिल है. चुनावी राज्यों में फोकस हुआ तो बीजेपी के महासचिव विनोद तावड़े और बिहार से राधा मोहन सिंह के नामों पर विचार किया जा सकता है.
विनोद तावड़े महाराष्ट्र से आते हैं. इनके पास पार्टी संगठन में काम करने का करीब 2 दशक का अनुभव है. इनका बचपन RSS से जुड़कर बीता है. अखिल विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीती की शुरुआत करने वाले तावड़े 1995 में भाजपा महाराष्ट्र के महासचिव बने. इसके बाद वो 2014 में वे पहली बार विधायक बने और देवेन्द्र फडणवीस सरकार में मंत्री बने. बिहार में गठबंधन के पीचे उन्हीं का हाथ माना जा रहा है. तावड़े सीधी बात बोलने वालों में जाने जा हैं.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां कोई खास फायदा नहीं हुआ. इसका कारण यहां के मराठा समुदाय की नाराजगी मानी जाती है. ऐसे में माना जा रहा है भाजपा मराठा छत्रप पर दांव लगा सकती है.विनोद तावड़े के जरिए पार्टी मराठा जनता को संदेश दे सकती है. इससे पहले उनका नाम CM के लिए भी था.
अभी भारतीय जनता पार्टी में नियुक्तियों को लेकर जो कायदे तय हैं उसमें तावड़े खरे बताए जाते हैं. मास अपील न होने के बाद भी वो उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की है. मराछा होने के साथ वो पिछड़े समाज से आते हैं.हाल फिलहाल में हुई मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति में ये फैक्टर देखा गया कि पार्टी खुद को पिछड़ा -दलित समर्थक बता रही है. ऐसे में तावड़े आगे हो सकते हैं.
बतौर महासचिव विनोद तावड़े को सबसे सक्रिय पदाधिकारियों में जाना जाता है. उन्होंने कई दलों से नेताओं का पार्टी में शामिल कराया है. उन्होंने पार्टी के टास्क को सीरियस लिया और बड़े-बड़े सेलिब्रिटी नेताओं को पार्टी में लेकर आए. बिहार प्रभारी के रूप में उन्होंने देश में नजर आने वाला काम किया है. माना जा रहा है सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की कमी को तावड़े से भरने की कोशिश हो सकती है.
विनोद तावड़े ने शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए काम किया है. इन दिनों RSS प्रमुख के बयान के बाद भी भाजपा की किरकिरी हो रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी इस दूरी को भरने के लिए भी विनोद तावड़े को ये जिम्मेदारी दे सकती है. सियासी जानकारों का मानना है कि इनके जरिए संघ और भाजपा के बीच बन रही दूरी कम हो सकती है.