Jammu and Kashmir assembly elections: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने शनिवार को पार्टी नेता मुश्ताक बुखारी की तुलना महात्मा गांधी और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला से की और जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को 'आजादी' दिलाने में उनके प्रयासों की प्रशंसा की.
75 वर्षीय नेता बुखारी को भाजपा ने जम्मू क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र सुरनकोट से मैदान में उतारा है. निर्वाचन क्षेत्र में उनके लिए प्रचार करते हुए, चुघ, जो जम्मू-कश्मीर में पार्टी की गतिविधियों की देखरेख करते हैं, ने बुखारी द्वारा पहाड़ी समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग का समर्थन करने के प्रयासों की ओर ध्यान आकर्षित किया.
तरुण चुघ ने कहा,'जो काम महात्मा गांधी ने किया था, वह कोई भूल नहीं सकता. जिस पार्टी की सरकार आई, लेकिन लोग नेल्सन मंडेला को नहीं भूल सकते. वैसे ही पहाड़ी नेताओं को आजादी दिलाने का काम यहां महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला, बुखारी साहब ने किया है.'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ करीब चार दशक तक जुड़े रहने के बाद बुखारी ने फरवरी 2022 में पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने को लेकर फारूक अब्दुल्ला से मतभेद के कारण पार्टी से नाता तोड़ लिया. दो साल बाद 15 फरवरी को पहाड़ी नेता भाजपा में शामिल हो गए.
उन्होंने वादा किया कि वह उस पार्टी में शामिल होंगे जो पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देगी. पुंछ जिले के सुरनकोट से दो बार विधायक रह चुके बुखारी कभी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के करीबी विश्वासपात्र थे.
मुस्लिम समुदाय में “पीर साहब” के नाम से मशहूर आध्यात्मिक नेता बुखारी पहाड़ी समुदाय में खासा प्रभाव रखते हैं. राजौरी, पुंछ, बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में करीब 12.5 लाख लोग पहाड़ी समुदाय से आते हैं. फरवरी में अपने बजट सत्र के दौरान संसद ने पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मणों के लिए आरक्षण को मंजूरी दी थी. सूरनकोट में 25 सितंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान होगा.