Who is Manoj Jarange: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदायों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन किया जो आज यानी 27 जनवरी को खत्म हो गया है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने जरांगे के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. इस दौरान जरांगे ने मुख्यमंत्री शिंदे की तारीफ की और उनके हाथों से जूस पीकर अपना अनशन समाप्त कर दिया.
इस दौरान जरांगे ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अच्छा काम किया है. हमारा विरोध अब खत्म हो गया है. हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया गया है. हम उनका पत्र स्वीकार करेंगे. जरांगे ने एक दिन पहले ही कहा था कि मैं कल मुख्यमंत्री के हाथों जूस पीऊंगा. बाद में जरांगे ने समर्थकों की भारी भीड़ के बीच मुख्यमंत्री शिंदे से एक गिलास जूस पीकर अपना उपवास खत्म किया, जिन्होंने नवी मुंबई में प्रदर्शनकारी नेता से मुलाकात की. दोनों ने मिलकर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया. ऐसे में आपका जानना जरूरी है कि आखिर मनोज जरांगे कौन हैं?
मनोज जरांगे का पूरा नाम मनोज जरांगे पाटिल है. ये मूल रूप से बीड जिले के रहने वाले हैं. बताया जाता है कि शादी के बाद जरांगे जालना जिले के शाहगढ़ में परिवार के साथ बस गए. वह करीब 15 साल पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षा क्षेत्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के आंदोलन में शामिल हुए. उन्होंने कई मार्चों और विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया. इसके बाद अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी चार एकड़ जमीन में से 2.5 एकड़ कृषि भूमि भी बेच दी.
शुरुआती दौर में उन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया. इसके बाद जरांगे ने मराठा आरक्षण के लिए शिवबा संगठन नाम एक संगठन बनाया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से साल 2021 में मराठा आरक्षण कोटा रद्द करने के बाद जरांगे ने अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शनों में भाग लिया, जिसमें जालना जिले के साश्त-पिंपलगांव में तीन महीने का आंदोलन भी शामिल था. यहां सैकड़ों लोग उनके साथ धरने में बैठे थे.
मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पिछले साल सितंबर में अतरावली-सराटे गांव में भूख हड़ताल के दौरान सुर्खियों में आए थे. आंदोलन के चौथे दिन पुलिस की एक टुकड़ी ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की थी. इस दौरान पुलिस और जरांगे के समर्थकों में झड़प भी हुई. लाठीचार्ज, आंसूगैस के गोले और पुलिस की बर्बरता की घटना सुर्खियां बनने के बाद से लेकर अब तक अज्ञात मराठा कार्यकर्ता राजनीतिक सुर्खियों में आ गए।
प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कई बार भूख हड़ताल की है, जबकि सरकार ने उन्हें मनाने के लिए काफी कोशिश की.