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GN Saibaba: उम्र 54, 90% विकलांग और 11 साल जेल! बरी हुए साईबाबा- माजरा क्या था?

GN Saibaba: दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा और पांच अन्य को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागुपर पीठ ने बरी कर दिया है. साईबाबा को 2017 में माओवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता का दोषी ठहराया गया था.

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Edited By: India Daily Live
GN Saibaba

GN Saibaba: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागुपर पीठ ने माओवादियों से कथित संबंध मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा और पांच अन्य को बरी कर दिया है. गढ़चिरौली कोर्ट ने उन्हें मार्च 2017 में माओवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता का दोषी ठहराया था. साई बाबा फिलहाल जेल में बंद हैं. व्हीलचेयर से चलने वाले प्रोफेसर साई बाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे. जीएन साईंबाबा 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं. 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद साई बाबा पर शिकंजा कसा गया था. हेम ने जांच एजेंसियों के सामने दावा किया था कि वह छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ के जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों और प्रोफेसर के बीच एक कूरियर के रूप में काम कर रहे थे. साल 2013 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में निगरानी के बाद आरोपी महेश तिर्की, पी. नरोटे और हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. 

कौन हैं साईबाबा?

आंध्र प्रदेश के एक गरीब परिवार में पैदा हुए जी.एन. साईबाबा 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं. वो बचपन से पढ़ाई में तेज थे. साईंबाबा दिल्ली के राम लाल कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. उन्होंने अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टंस फोरम के एक कार्यकर्ता के रूप में कश्मीर और उत्तर पूर्व में मुक्ति आंदोलनों के समर्थन में दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए प्रचार करने के लिए 2 लाख किमी से अधिक की यात्रा की थी. साईबाबा पर शहर में रहकर माओवादियों के लिए काम करने का आरोप है. क्रांतिकारी डेमोक्रेटिक फ्रंट माओवादियों का गुट है. इन पर इस गुट के सदस्य होने का आरोप था. हालांकि उन्होंने हमेशा आरोप को गलत बताया. 

क्या है आरोप?

व्हीलचेयर पर बैठे जी एन साईबाबा, महेश करीमन तिर्की, हेम केशवदत्त मिश्रा, पांडु पोरा नरोटे और प्रशांत राही द्वारा दायर की गई थी, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, और विजय तिर्की, जिन्हें एक विशेष अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. उन्हें मार्च 2017 में माओवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता का दोषी ठहराया गया था. साईबाबा सहित पांच दोषियों को आजीवन कारावास दिया गया था; छठे, विजय तिर्की को दस साल के कठोर कारावास की सजा दी गई थी. पुलिस के मुताबिक, साईबाबा के आवास से कई दस्तावेज, एक हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव जब्त किए गए, जिसके आधार पर पुलिस ने दावा किया कि उनका माओवादिओं के साथ संबंध रहा है.