Supreme Court: योन उत्पड़ीन मामले की सुनावई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि घर में पैसे उधार नहीं देने चाहिए. आखिर जज ने ऐसी बात क्यों कही? पूरा केस क्या है? आइए सिलसिलेवार से समझते हैं. ये पूरा मामला एक पति-पत्नी का है. पत्नी ने अपने पति के खिलाफ अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में यौन उत्पीड़न को लेकर याचिका दायर की. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. इस केस की सुनवाई जस्टिस नागरत्ना कर रहीं थी. उन्होंने सुनवाई के दौरान महिला के वकील से कुछ सवाल पूछे. वकील का जवाब सुन जस्टिस बी॰ वी॰ नागरत्ना ने दिलचस्प टिप्पणी कर दी जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
वकील ने बताया कि जिस कंपनी में उसकी क्लाइंट कर्मचारी है वहीं पर उसके पति एंप्लॉयर हैं. वकील की इस बात पर जज ने कहा कि इस मामले में पति-पत्नी को कानूनी सलाह लेकर केस वापस ले लेना चाहिए.
इस केस की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस दीपांकर दत्त की बेंच कर रही थी. बेंच ने महिला के वकील से सवाल पूछा कि क्या इस मामले को लेकर पॉश कमेटी में शिकायत दर्ज की गई थी? सवाल का जवाब देते हुए वकील ने कहा कि मामले को पॉश कमेटी के सामने उठाया गया था लेकिन कमेटी ने इसे लोकल कमेटी को ट्रांसफर कर दिया. लोकल कमेटी ने इस मामले को शादीशुदा का मैटर बताकर कैंसिल कर दिया.
वकील के इस जवाब को सुनने के बाद जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट लेकर जाना था. इस पर वकील ने कहा कि पति-पत्नी साथ नहीं रहते लेकिन एक साथ ऑफिस में काम करते हैं. इसके बाद जज ने टिप्पणी करते हुए कहा -इसलिए कहा जाता है कभी भी घर में किसी को पैसे-वैसे नहीं देना चाहिए.
टिप्पणी करते हुए बेंच ने कहा कि वह अनुच्छेद 32 के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती. इस केस में दंपति को कानूनी सलाह लेनी चाहिए. सुनवाई पूरी होने के बाद केस को वापस लेना पड़ा.