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Delhi Assembly Elections: मुस्लिम वोटर्स ने खा ली कसम, दिल्ली में किस पार्टी को देंगे वोट? बताया

AAP के द्वारा महिलाओं और मुफ्त योजनाओं पर फोकस करने से यह पार्टी मुस्लिम समुदाय में भी समर्थन हासिल कर सकती है. हालांकि, कुछ मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की तरफ भी झुकाव दिखा सकते हैं, खासकर अगर कांग्रेस ने अपने अभियान को सही तरीके से चलाया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Which party will Muslim voters vote for in Delhi Assembly elections

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मुस्लिम वोटर्स ने अपने चुनावी फैसले को लेकर विचार शुरू कर दिया है. विभिन्न समुदायों की तरह मुस्लिम मतदाता भी इस बार चुनाव में अपनी भूमिका को लेकर सजग हैं. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली में मुस्लिम वोटर काफी संख्या में हैं और उनका मत किसी भी पार्टी की जीत को प्रभावित कर सकता है. इस लेख में हम जानेंगे कि मुस्लिम वोटर्स इस बार किन मुद्दों के आधार पर अपना वोट देंगे और किस पार्टी को प्राथमिकता देंगे.

त्रिकोणीय मुकाबले का खतरा

नई सीलमपुर मार्केट में मोहम्मद सलीम, जो एक मुस्लिम मतदाता हैं, चुनाव को लेकर अपने विचार साझा करते हुए कहते हैं, "जब दो लोग आपस में लड़ते हैं तो तीसरा लाभ उठाता है." उनका यह बयान दिल्ली में हो रहे त्रिकोणीय मुकाबले को लेकर था, जहां भाजपा, आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ रही है. सलीम का मानना है कि मुस्लिम वोट को बांटने से भाजपा को फायदा हो सकता है, इसलिए मुस्लिम मतदाता इस बार या तो AAP या कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे, ताकि भाजपा को रोका जा सके.

AAP को मिलेगा समर्थन, लेकिन कांग्रेस की भी अहमियत
चंद्रचूर सिंह, जो हिंदू कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर हैं, का मानना है कि मुस्लिम वोट इस बार भाजपा के खिलाफ जाएगा. उनके अनुसार, "यह कोई जटिल बात नहीं है कि मुस्लिम मतदाता भाजपा को वोट नहीं देंगे. अगर चुनाव कल होते हैं, तो AAP को मुस्लिम वोट अधिक मिलेगा. हालांकि, कांग्रेस का अभियान और उम्मीदवारों पर भी काफी निर्भर करेगा."

AAP के द्वारा महिलाओं और मुफ्त योजनाओं पर फोकस करने से यह पार्टी मुस्लिम समुदाय में भी समर्थन हासिल कर सकती है. हालांकि, कुछ मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की तरफ भी झुकाव दिखा सकते हैं, खासकर अगर कांग्रेस ने अपने अभियान को सही तरीके से चलाया.

मुस्लिम वोटर की अहमियत
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इनमें से सीलमपुर (50%), मटिया महल (48%), ओखला (43%), मस्तफाबाद (36%), बल्लिमारान (38%) और बाबरपुर (35%) सीटें प्रमुख हैं, जहां मुस्लिम मतदाता भारी संख्या में हैं. AAP ने 2020 विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी.

इसके अलावा, सीमापुर (25%), गांधी नगर (22%), चांदनी चौक (20%), सदर बाजार (20%) और विकासपुरी (20%) जैसी सीटों पर भी मुस्लिम वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

AIMIM का प्रभाव
दिल्ली में तेलंगाना आधारित पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) भी चुनावी मैदान में है, जो AAP और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है. इसके अलावा, कई मुस्लिम मतदाता इस बार कांग्रेस और AAP के प्रदर्शन के आधार पर अपना वोट तय करेंगे.

क्षेत्रीय मुद्दे और मुसलमानों की चिंताएं
मुस्लिम मतदाताओं के लिए स्थानीय मुद्दे भी अहम हैं. दिल्ली के कई क्षेत्रों में, जैसे कि शाहीन बाग, जाफराबाद और मुस्तफाबाद, लोग सरकार की तरफ से बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर नाराज हैं. सफाई, जल आपूर्ति, सीवर सिस्टम और यातायात जैसी समस्याओं पर लोग खुलकर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं.

सैरा बानों, जो नई सीलमपुर बाजार में खरीदारी कर रही थीं, ने कहा, "कांग्रेस एक अच्छी पार्टी है, जबकि केजरीवाल ने दिल्ली के लिए अच्छा काम किया है. मुझे खुशी होगी अगर इनमें से कोई सरकार बनाए." हालांकि, उन्होंने पानी की गंदगी, कूड़ा न उठने और सीवर ओवरफ्लो की समस्याओं को लेकर सरकार से असंतोष जताया.