WhatsApp may Shutdown in India: दिल्ली हाईकोर्ट में भारत सरकार और व्हाट्सएप के बीच चल रहे विवाद में एक बड़ा अपडेट आया है जिसके तहत व्हाट्सएप ने इस हफ्ते दिल्ली हाईकोर्ट में एक बड़ा दावा किया है. कंपनी का कहना है कि अगर उसे मैसेजेस की एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वह भारत में काम करना बंद कर देगी.
यह दावा उस समय सामने आया है, जब व्हाट्सएप और फेसबुक (जो अब मेटा है) सरकार द्वारा हाल ही में बदले गए आईटी नियमों को चुनौती दे रहे हैं.
व्हाट्सएप और फेसबुक का कहना है कि ये नए नियम यूजर्स के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और असंवैधानिक हैं. व्हाट्सएप की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा, "अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो व्हाट्सएप भारत में काम करना बंद कर देगा." कंपनी का दावा है कि ये नये नियम यूजर्स की निजता के खिलाफ हैं और इन्हें बिना किसी सलाह-मशवरे के लागू कर दिया गया है.
केंद्र सरकार ने 25 फरवरी, 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87(2) के तहत और 2011 के सूचना प्रौद्योगिकी ( मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियमों को निरस्त करते हुए नए दिशानिर्देश बनाए थे. इन नए नियमों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 कहा जाता है. इन नियमों के तहत देश में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल पोर्टल्स के लिए शिकायत निवारण प्रणाली अनिवार्य कर दी गई है.
लेकिन, केंद्र सरकार का कहना है कि व्हाट्सएप और फेसबुक यूजर्स की जानकारी का व्यापारिक इस्तेमाल करते हैं, इसलिए वे खुद को यूजर्स की निजता का रक्षक नहीं बता सकते.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने एक हलफनामे के जरिए व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका का विरोध किया है. मंत्रालय का कहना है कि व्हाट्सएप पहले ही भारत में यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन कर चुका है, क्योंकि वह उन्हें देश में किसी भी तरह के विवाद समाधान का अधिकार नहीं देता.
साथ ही, मंत्रालय का कहना है कि अगर आईटी नियम 2021 को लागू नहीं किया गया, तो कानून लागू करने वाली संस्थाओं को फर्जी मैसेजेस और आतंकवादियों को ट्रैक करने में मुश्किल होगी. ये फर्जी मैसेज अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी फैल सकते हैं, जिससे समाज में शांति भंग हो सकती है.
सरकार का यह भी कहना है कि व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स के साथ-साथ उस देश के कानून के प्रति भी जवाबदेह होना चाहिए, जहां वे काम करते हैं.
व्हाट्सएप और भारत सरकार के बीच ये टकराव एन्क्रिप्शन और सोशल मीडिया नियमन को लेकर चल रही वैश्विक बहस का एक हिस्सा है. कई देशों में इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सेवाओं का इस्तेमाल अपराधियों और आतंकवादियों द्वारा किया जा सकता है.
वहीं, प्राइवेसी एडवोकेट्स का कहना है कि एन्क्रिप्शन का कमजोर होना यूजर्स की निजता के लिए खतरा है. उदाहरण के लिए, जर्मनी में नेफरहसेनगसेट्ज़ (NetzDG) कानून है, जो सोशल मीडिया कंपनियों को कुछ प्रकार की घृणास्पद सामग्री को हटाने के लिए बाध्य करता है.
अदालत के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. यह मामला फिलहाल अदालत में है. यह देखना होगा कि कोर्ट किसके पक्ष में फैसला सुनाती है, एन्क्रिप्शन और यूजर्स की निजता के अधिकार या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा और सोशल मीडिया पर लगाम के बीच संतुलन कैसे बनाया जाता है.