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'न्याय का दिन आ गया', तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिका के विदेश मंत्री ने क्या कहा?

रुबियो ने कहा, '2008 के मुंबई आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था.' उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका लंबे समय से भारत के उन प्रयासों का समर्थन करता रहा है, जो इन हमलों के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए किए गए.

Imran Khan claims

2008 के मुंबई आतंकी हमलों के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ऐतिहासिक कदम बताया है. राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, को गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम भारत लाई. 64 वर्षीय पूर्व पाकिस्तानी सेना अधिकारी को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उन्हें एनआईए की हिरासत में भेज दिया. रुबियो ने X पर लिखा, "हमने तहव्वुर हुसैन राणा को 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में उनकी भूमिका के लिए भारत को सौंप दिया. भारत के साथ मिलकर हमने 166 लोगों, जिनमें 6 अमेरिकी शामिल थे, के लिए लंबे समय से न्याय की मांग की थी. मुझे खुशी है कि वह दिन आ गया."

मुंबई हमलों का वैश्विक प्रभाव
रुबियो ने कहा, "2008 के मुंबई आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था." उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका लंबे समय से भारत के उन प्रयासों का समर्थन करता रहा है, जो इन हमलों के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए किए गए. रुबियो ने आगे कहा, "जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है, अमेरिका और भारत आतंकवाद के वैश्विक खतरे से निपटने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे."

राणा पर आरोप
अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, राणा को भारत में 10 आपराधिक आरोपों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें साजिश, हत्या, आतंकी कृत्य और जालसाजी शामिल हैं. राणा ने कथित तौर पर अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए हमले की जगहों की टोह लेने के लिए फर्जी कवर प्रदान किया. न्याय विभाग ने कहा, "राणा ने हेडली को उनकी शिकागो-आधारित आप्रवासन व्यवसाय की मुंबई शाखा का प्रबंधक नियुक्त किया और गलत जानकारी के साथ वीजा आवेदनों में मदद की."

हमले के बाद राणा का रुख
हमलों के बाद राणा ने कथित तौर पर हेडली से कहा, "भारतीय इसके हकदार थे." एक इंटरसेप्टेड बातचीत में उन्होंने मारे गए नौ एलईटी आतंकियों की तारीफ करते हुए कहा, "उन्हें निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए," जो पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है.

राणा की कानूनी लड़ाई
2013 में, राणा को इलिनोइस की अदालत ने एलईटी को समर्थन और डेनमार्क में एक नाकाम आतंकी साजिश के लिए 14 साल की सजा सुनाई थी. 2020 में भारत के अनुरोध पर अमेरिका ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की, जिसे राणा ने पांच साल तक टालने की कोशिश की. 7 अप्रैल को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उनके प्रत्यर्पण पर रोक की याचिका खारिज कर दी.

India Daily