पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में रेल हादसा हुआ. एक मालगाड़ी ने पीछे से कंचनजगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी. इस हादसे के पीछे मालगाड़ी के ड्राइवर द्वारा सिग्लन की अनदेखी की बात कही जा रही है. आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक क्यों नहीं लगा पाया. क्या अचानक ब्रेक लागाने से ट्रेन रुक जाती?
रेलवे बोर्ड के निदेशक, इनफार्मेशन एवं पब्लिसिटी मारुति शिवाजी सुतार ने बताया कि रेल मैन्युअल के अनुसार यात्री गाड़ी और मालगाड़ी में सामान्य रूप से ब्रेक लगाने के लिए अलग-अलग दूरी तय की गई हैं. लोकों पायलट मैन्युअल के आधार पर अपने गाड़ी चलाते हैं. किसी पुल पर अगर दो ट्रेन एक साथ गुजरती हैं तब भी ट्रेन की गति निर्धारित की गई है. कोई यात्री गाड़ी 100 किमी. प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही है तो उसे 350 से 400 मीटर पहले ब्रेक लगाकर रोका जा सकता है. वहीं, मालगाड़ी 100 किमी. प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही है, तो उसे रोकने के लिए 500 से 600 मीटर की कम से दूरी चाहिए होगी.
आपने कई बार अनुभव किया होगा कि स्टेशन से खुलते ही ट्रेन स्पीड पकड़ लेती है फिर आगे जाकर धीमी हो जाती है. इसमें सिग्नल के ग्रीन, येलो या रेड होने का अहम योगदान होता है. कही ट्रेन स्पीड में चलती है तो कही स्पीड काफी कम होती है, इसते पीछे भी कारण है.
ट्रेन कब और कहां कितनी स्पीड से चलेगी ये रेल ट्रेक और जोन पर निर्भर होता है. अगर ट्रेक सीधी और सही है तो ट्रेन अपनी फुल रफ्तार में चल सकती है. देश में रेलवे ट्रैक अधिकतम 160 स्पीड प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ने में सक्षम हैं. सभी रेलवे ट्रेक सीधे नहीं हैं ऐसे में ट्रेन सभी जगह तेज नहीं चल सकती. कर्व, टनल, बड़े शहर और भौगोलिक स्थितियों अनुसार अलग-अलग स्पीड तय रखी गई है.
अगर कोई यात्री गाड़ी अपनी फुल स्पीड से चल रही है तो उसे 1000 मीटर से पहले ब्रेक लगाना शुरू करना होता है. स्टेशन के पहले कई सिग्मा मार्कर लगे रहते हैं, जिसे देखकर पायलट अपनी स्पीड के नियंत्रित करते हैं. ट्रेन किस रेलवे सेक्शन में चल रही है ये भी महत्वपूर्ण है. उस सेक्शन में अधिकतम कितनी गति से चलने की अनुमति दी गई है. अगर किसी सेक्शन में ट्रेन को अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित है तो ट्रेन उतनी ही स्पीड तक चल सकती है.
इसके लिए लोको पायलट को सारी जानकारी दी जाती है. अगर किसी सेक्शन की अनुमति अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर है लेकिन ट्रेन की हाई स्पीड केवल 90 किलोमीटर प्रति घंटा है तो फिर वह ट्रेन उतनी ही गति से चल पाएगाी. ग्रीन सिग्नल होने पर ट्रेन फुल स्पीड पर चलती है. वहीं, येलो सिग्नल का मतलब होता है कि स्पीड घटा लें और अगले सिग्नल पर रेड है तो पायलट गाड़ी आगे नहीं ले जा सकता.