धर्म, राजनीति या धर्म की राजनीति? समझिए वक्फ बोर्ड पर मचे हंगामे का इतिहास और संभावित बदलाव
Waqf Board: भारत में दशकों से काम कर रहे वक्फ बोर्ड को लेकर कई बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. इन बदलावों के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कुछ बिल लाने की तैयारी में है. इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है. बीजेपी का कहना है कि ऐसे नियमों को बदला जाएगा जिनके चलते मुस्लिमों को खुली छूट मिली हुई थी. वहीं, समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दल अभी से इसके विरोध में आ गए हैं.
भारत में काम कर रहे तमाम वक्फ बोर्ड की ताकतों में कटौती करने, नियमों में बदलाव करने और उसके अधिकारों को सीमित करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाने की तैयारी है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद में एक बिल ला सकती है जिसके जरिए इसमें बदलाव किए जाएंगे. विपक्षी पार्टियों में से कुछ दल इस पर विरोध जता रहे हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी उन संभावित खतरों का जिक्र कर रही है जिन्हें रोकने के लिए वह इसमें बदलाव करना चाहती है. बीजेपी ने एक ट्वीट करके कहा है कि मौजूदा नियमों के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी सार्वजनिक संपत्ति दावा कर देता है, उसकी शक्तियां बेहद ज्यादा हैं और इससे राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है.
देश में पिछले कई सालों में वक्फ बोर्ड की नियुक्तियों, उसकी संपत्तियों और उनके प्रबंधन को लेकर कई विवाद हो चुके हैं. दो दर्जन से ज्यादा वक्फ बोर्ड के प्रबंधन का काम वैसे तो केंद्रीय वक्फ परिषद के जरिए होता है लेकिन यह देखा गया है कि राज्य सरकारों का इसमें पर्याप्त दखल रहा है. ऐसे में अब नए नियमों के जरिए यह पूरा सिस्टम ही बदलने की कोशिश की जा रही है. अगर आप भी वक्फ बोर्ड, वक्फ परिषद, उसकी संपत्तियों और अधिकारों के बारे में कम जानते हैं या कोई कन्फ्यूजन है तो यहां सारे संदेह दूर हो जाएंगे.
क्या बदलना चाहती है मोदी सरकार?
सूत्रों के मुताबिक, उस अधिकार में बदलाव किया जाएगा जिसके तहत किसी भी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड दावा कर सकता था. पहले इस तरह के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नर नियुक्त होते थे लेकिन अब यह काम कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर रैंक से नीचे के अधिकारी को नहीं दिया जाएगा. साथ ही, अब किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी पक्षों को नोटिस देना होगा और राजस्व कानूनों के हिसाब से तय प्रक्रिया से गुजरना होगा.
संभावित बदलावों के मुताबिक, वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में अब मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. इसको लेकर कुछ अनिवार्यताएं भी तय की जा सकती हैं. वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के लोग, मुस्लिम कानून के जानकार, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, केंद्र सरकार के अधिकारी, एक प्रसिद्ध वकील समेत कई अन्य लोगों को भी शामिल किया जाता है.
वक्फ बोर्ड का इतिहास क्या है?
साल 1954 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट पास किया था. तब से अब तक इसमें कई सारे संशोधन किए गए. हालांकि, इसको रद्द करके 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया. 1991 में बाबरी विध्वंस के बाद वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव करके इसे भूमि अधिग्रहण के असीमित अधिकार दे दिए गए. साल 2013 में केंद्र सरकार ने अधिकार दिए कि वक्फ बोर्ड सपंत्तियों पर दावा कर सकता है. इसी तरह एक बार किसी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का अधिकार घोषित कर दिए जाने के बाद हमेशा के लिए वह उसी की हो जाती है.
कहा जाता है कि वक्फ के बारे में पैगंबर मोहम्मद ने कहा था, 'अपनी जायदाद को इस तरह से खैरात में दो कि न तो उसे बेचा जा सके और न ही उसे किसी को दिया जा सके. साथ ही, उसे विरासत में भी न दिया जाए और उससे किसी को मुनाफा न मिले.' मुगलों के जमाने में भी वक्फ का सिस्टम जारी रहा और इन जमीनों पर मदरसे भी खोले गए.
क्यों पड़ी थी वक्फ बोर्ड की जरूरत?
दरअसल, देश के विभाजन के समय बहुत सारे लोग ऐसे थे जो अपनी संपत्तियां छोड़कर चले गए थे. इन संपत्तियों में घर और जमीन शामिल थीं. सरकार ने इन्हीं का मैनेजमेंट करने के लिए वक्फ बोर्ड बनाया था और उससे जुड़े सभी काम भी बोर्ड को सौंप दिए थे. मौजूदा समय में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार करती है. इसके अलावा, बोर्ड के सदस्य भी सरकार ही चुनती है.
धर्मार्थ कार्यों के लिए दान दी गई चल या अचल संपत्ति को वक्फ की संपत्ति कहा जाता है. कोई भी मुस्लिम शख्स जो 18 साल से ज्यादा उम्र का हो वह अपनी संपत्ति वक्फ को दान कर सकती है. इन संपत्तियों और उन पर किए गए निर्माण का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करते हैं.
विवादों से क्यों रहा है वक्फ बोर्ड का नाता?
वक्फ बोर्ड को असीमित ताकत दिए जाने के बाद से विवादों ने जन्म लेना शुरू किया. वक्फ को मिले अधिकारों के मुताबिक, वह किसी भी संपत्ति के बारे में यह जांच कर सकता है कि संपत्ति वक्फ की है या नहीं. इसका खर्च राज्य सरकार को चुकाना पड़ता है. अगर बोर्ड दावा कर दे कि संपत्ति उसकी है तो उसे खारिज कर पाना मुश्किल होता है. वक्फ एक्ट की धारा 85 के मुताबिक, इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती है. ऐसे कई मामले आए जिनमें संपत्तियों को वक्फ का बताया जाने को लेकर विवाद हुए.
रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ के पास ही है. कई बोर्ड के अधिकारियों पर आरोप भी लगे कि उन्होंने वक्फ की संपत्तियों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया और उनके जरिए अनुचित लाभ भी कमाए.
कितनी संपत्ति का मालिक का वक्फ बोर्ड?
साल 2022 में भारत के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा को जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि वक्फ बोर्ड के पास कुल 7,85,934 संपत्तियां हैं. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के वक्फ बोर्ड के पास 2,14,707, हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल के वक्फ बोर्ड के पास कुल 80480 संपत्तियां हैं. इसी तरह से देश में कुल 32 वक्फ बोर्ड काम कर रहे हैं जिनके जरिए वक्फ की संपत्तियों का मैनेजमेंट किया जाता है.
वक्फ परिषद क्या है?
साल 1964 में वक्फ अधिनियम 1955 के तबत केंद्र सरकार ने केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की थी. इसका काम वक्फ बोर्ड के कामकाज से जुड़े मुद्दों और अन्य चीजों पर सलाह देने का है. इसके प्रभारी की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री की होती है. इसके अलावा, इसमें 20 अन्य सदस्य भी होते हैं.