Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासत तेज हो गई है. लोकसभा में मंजूरी के बाद अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया है, जहां भी इसे पारित कर दिया गया है. केंद्र सरकार का दावा है कि यह कानून वक्फ बोर्डों के कामकाज को पारदर्शी और कारगर बनाएगा, जबकि विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश करार दे रहा है.
क्या है वक्फ और उसका ऐतिहासिक महत्व
बता दें कि 'वक्फ' शब्द अरबी भाषा से आया है, जिसका मतलब है 'रोक देना'. यह संपत्ति मुस्लिम धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित होती है. इसे बेचा या बदला नहीं जा सकता. भारत में वक्फ की शुरुआत 12वीं सदी में मानी जाती है. धीरे-धीरे यह व्यवस्था इतनी बड़ी हो गई कि आज वक्फ बोर्ड देश में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी बन चुका है.
वक्फ की संपत्ति और विवाद
देशभर में वक्फ बोर्ड के पास करीब 9.4 लाख एकड़ ज़मीन और 8.7 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं. इनमें सबसे ज्यादा अचल संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं. लेकिन इनमें से कई संपत्तियां विवादों में उलझी हुई हैं. सरकार के मुताबिक, 40,000 से ज्यादा मामले वक्फ संपत्तियों से जुड़े हुए हैं, जिनमें से 10,000 से अधिक केस खुद मुस्लिम संगठनों ने दाखिल किए हैं.
विवादित बदलाव क्या हैं?
नए विधेयक के मुताबिक-
विरोध और समर्थन की दो धाराएं
बताते चले कि AIMPLB और अन्य मुस्लिम संगठन इस विधेयक को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं. मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, ''अगर यह कानून पास हुआ, तो वक्फ संपत्तियों पर नाजायज कब्जे बढ़ेंगे.'' दूसरी ओर कुछ मुस्लिम वर्ग इस कानून का समर्थन कर रहे हैं और कहते हैं कि इससे 'वक्फ माफिया' का सफाया होगा.
वहीं इसको लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून सरकार की नाकामी से ध्यान भटकाने का जरिया है. AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में विधेयक की प्रति फाड़ दी, जबकि कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा, ''सदियों पुरानी वक्फ संपत्तियों का सबूत कैसे दिया जा सकता है?''