Uniform Civil Code: क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड, और क्यों हो रही है 'UK' में इसकी चर्चा, सबकुछ जानिए

Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता कानून को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है. आखिर इस मुद्दे पर चर्चा क्यों हो रही है और हर कोई इसकी ही बात क्यों कर रहा है. आइए जानते हैं.

Social Media

Uniform Civil Code: भारत में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं, और इस विविधता को देखते हुए हमारे देश में अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून (Personal Laws) लागू होते हैं. इन व्यक्तिगत कानूनों में शादी, तलाक, विरासत, और गोद लेने जैसे मामलों में अलग-अलग नियम होते हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में, यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) की अवधारणा ने अक्सर देश में चर्चा का विषय बनाया है. अब यह विषय अगले कुछ दिनों तक चर्चा का विषय बना रहेगा क्योंकि आज यानी 27 जनवरी को उत्तरखांड UCC को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है. देवभूमि में यूसीसी लागू हो गय है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है, और क्यों इसकी बात हो रही है? आइए जानते हैं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता हो. इसका उद्देश्य यह है कि भारत के सभी नागरिकों के लिए धर्म, जाति, लिंग, या क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग कानून लागू न हों, बल्कि सभी के लिए समान व्यक्तिगत कानून हो.

इसका उद्देश्य यह है कि सभी समुदायों के लिए एक समान नियम हो, ताकि किसी भी प्रकार की धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक भेदभाव से बचा जा सके. अगर इस कोड को लागू किया जाता है तो सभी भारतीयों के लिए शादी, तलाक, संपत्ति का अधिकार, गोद लेने, और अन्य व्यक्तिगत मामलों में समान नियम होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म, समुदाय या क्षेत्र से संबंधित हों.

यूनिफॉर्म सिविल कोड का भारतीय संविधान में जिक्र

भारत का संविधान देश में एक समानता और न्याय की अवधारणा पर आधारित है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में यह कहा गया है कि "राज्य एक यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का प्रयास करेगा", लेकिन इसे लागू करने की कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी गई है. इसके बावजूद, यह विचार हमेशा से सामने आता रहा है कि विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त किया जाए और एक समान कोड लागू किया जाए.

UCC जैसा गोवा में पहले से ही लागू है कानून

1961 में भारत का राज्य बने गोवा में एक कानून है जिसे यूसीसी की तरह कहा जाता है. लेकिन यह कानून भारत सरकार द्वारा नहीं बल्कि पहले पुर्तगाली सरकार दावारा लागू कानून है. इस ऐसे कह सकते हैं कि गोवा में UCC का एक संस्करण लागू है, जो 1867 का पुर्तगाली नागरिक संहिता है. इसके तहत गोवा में सभी धर्मों के लोग विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान कानूनों के अधीन हैं.  गोवा1961 तक पुर्तगाली नियंत्रण में था
 

क्यों हो रही है यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा?

उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. बीते कुछ सालों से देश में इस कानून को लागू करने की चर्चा हो रही है. देवभूमि में इस कानून के लागू होने के बाद एक बार फरि से इस कानून की चर्चा होने लगी है.

समानता और न्याय: UCC का मुख्य उद्देश्य समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा देना है. यदि सभी के लिए एक ही कानून होगा, तो भेदभाव की संभावना खत्म हो जाएगी. खासकर महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों में महिलाओं के अधिकारों को लेकर असमानता पाई जाती है.

धार्मिकता की जगह राष्ट्रियता को बढ़ावा: कुछ लोगों का मानना है कि धार्मिक कानूनों में बदलाव लाकर समाज में एकता और राष्ट्रीयता को बढ़ावा दिया जा सकता है. UCC को लागू करने से धार्मिक आधार पर होने वाली समस्याओं को कम किया जा सकता है और एक संयुक्त नागरिकता की भावना उत्पन्न हो सकती है.

सांस्कृतिक असमानताएं: विभिन्न धर्मों के बीच अंतर-समझौतों और विवादों की वजह से व्यक्तिगत कानूनों में जटिलताएं पैदा होती हैं. इन जटिलताओं को खत्म करने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की आवश्यकता महसूस हो रही है.

UCC के पक्ष में तर्क

समानता और एकता: UCC से समाज में समानता आएगी. यह विभिन्न समुदायों को एकजुट करने में मदद करेगा और धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म करेगा.

महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण: कई धर्मों में महिलाओं के अधिकारों को लेकर भेदभावपूर्ण प्रथाएं हैं, जैसे कि मुस्लिम समुदाय में तलाक का अधिकार, या हिंदू धर्म में संपत्ति के अधिकारों का असमान वितरण. UCC इसे खत्म कर सकता है और महिलाओं को समान अधिकार दे सकता है.

आधुनिकता और प्रगति: UCC का उद्देश्य पारंपरिक विचारधाराओं से बाहर निकलकर एक प्रगतिशील और आधुनिक समाज बनाना है. यह समाज को न्याय, समानता और स्वतंत्रता की ओर मार्गदर्शन करेगा.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर उत्तराखंड के बाद कौन सा राज्य यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करेगा.