Ajit Doval Work: देश में लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न होने के बाद सरकार का गठन हो गया. आपने देखा होगा कई मंत्रियों का विभाग वहीं रखा गया था. चर्चा NSA की भी हो रही थी कि अब मोदी सरकार के तीसरे टर्म में इस पद को कौन संभालेगा. आज इन चर्चाओं पर विराम लगा और साफ हो गया कि अजीत डोभाल ही इस पद पर रहेंगे. आज ही जम्मू-कश्मीर को लेकर एक हाईलेवल मीटिंग हुए इसमें वो प्रधानमंत्री के साथ थे. ऐसे में आपके मन में भी सवाल होगा की NSA का काम क्या है और ये पद कितना ताकत वाला है. आइये जानें सब कुछ...
बता दें आज ही इस बात का फैसला हुआ है कि तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोर टीम में कोई बदलाव नहीं होगा. तीसरे टर्म में अजित डोभाल ही NSA होगे. वहीं पीके मिश्रा पीएम के प्रधान सचिन बने रहेंगे. ऐसा इसलिए की इन्होंने PM के अभी तक के फैसलों में अहम भूमिका निभाई है.
अजीत कुमार डोभाल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हैं. वे केरल कैडर के सेवानिवृत्त IPS अधिकारी हैं. 1945 में उत्तराखंड में जन्मे डोभाल ने सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी संभाली और कीर्ति चक्र का सम्मान प्राप्त किया. सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में बालाकोट हवाई हमले डोभाल की देखरेख में हुए. इसके साथ ही इनका हाथ पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए बनाई योजनाओं में है.
डोभाल ने मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद के खिलाफ काम किया. 1999 में कंधार हाईजैक मामले में वार्ताकार भी बने. इनके नाम पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट के रूप में काम करने का तमगा है. इन्होंने वहां 7 साल बिताए. साथ ही इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में काम किया है. अपने नाम कई प्रसिद्ध पुरस्कारों, सम्मानों और रिकॉर्डों के बाद वो 2019 में पांच और वर्षों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त हुए. अब सरकार ने उन्हें फिर से NSA बनाया है.
NSA राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के मुखिया होते हैं जो प्रधानमंत्री को सुरक्षा के मामलों पर सलाह देते हैं. परिषद का मुख्य काम गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के साथ काम कर PM को उचित राय देना है. इस पद को भारत पहली बार 1998 में परमाणु परीक्षण के दौरान बनाया गया था. आइये समझें डोभाल का काम
नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर भारत सरकार के लिए सुरक्षा नीति तैयार करने का काम करते हैं. इसमें आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा शामिल होती है. ये सुरक्षा से जुड़ी जानकारी के मुख्य समीक्षक और खुफिया सूचना से जुड़े मामले में संस्थाओं और पीएम के बीच काम करते हैं. इस पद की ताकत ऐसे भी समझिए की इसके पदानुक्रम से एक पद नीचे स्ट्रेटेजिक पॉलिसी ग्रुप आता है. जिसमें सभी सेना प्रमुख, सभी मंत्रालय के सचिव और IB, Raw के प्रमुख होते हैं.