जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए कदमों के जवाब में इस्लामिक देश ने 1972 में दोनों देशों के बीच प्रमुख समझौतों में से एक शिमला समझौते को निलंबित कर दिया है. 52 साल पहले 2 जुलाई 1972 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर साइन किया था. इस समझौते में एक प्रमुख खंड दोनों पक्षों द्वारा बिना किसी 'पूर्वाग्रह' के नियंत्रण रेखा (एलओसी) का सम्मान करना था.
भारत की घोषणा के एक दिन बाद, गुरुवार को पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध कई कदमों की घोषणा की, जिनमें व्यापार के लिए वाघा सीमा को बंद करना, भारतीय नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट को निलंबित करना, तथा भारतीय सैन्य राजनयिकों को निष्कासित करना शामिल है, जिन्हें अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है.
1972 शिमला समझौता क्या है?
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय संधि थी, जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे. यह 1971 के युद्ध के तत्काल परिणाम में आया, जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया और एक स्वतंत्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ. इस संधि पर हिमाचल प्रदेश के शिमला में हस्ताक्षर किए गए थे. जम्मू और कश्मीर, 17 दिसंबर, 1971 के युद्ध विराम से बना एलओसी का दोनों देश द्वारा सम्मान किया जाएगा. कोई भी पक्ष आपसी मतभेदों और कानूनी व्याख्याओं के बावजूद इसे एकतरफा रूप से बदलने की कोशिश नहीं करेगा. दोनों पक्ष इस रेखा के उल्लंघन में धमकी या बल के प्रयोग से परहेज करने का वचन देते हैं.
1971 के युद्ध में,भारत के साथ पूर्ण सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान को 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा. पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में गृह युद्ध के दौरान, भारत ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया और युद्ध जीत लिया. पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के कारण शिमला समझौता हुआ.
शिमला समझौते का उद्देश्य
इस समझौते के पीछे मुख्य उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य बनाना और शांति स्थापित करना था. सबसे महत्वपूर्ण समझौता जम्मू और कश्मीर की स्थिति, नियंत्रण रेखा (एलओसी) से संबंधित था, जो 1971 के युद्ध विराम के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था. समझौते में कहा गया था कि दोनों पक्ष बिना किसी पूर्वाग्रह के रेखा का सम्मान करेंगे.
शिमला समझौते का प्रभाव
शिमला समझौते के निलंबन का तत्काल कोई असर नहीं होगा, लेकिन क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका है. अभी तक भारत ने पाकिस्तान के कदमों के जवाब में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.