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India Daily

क्या है सिख फॉर जस्टिस संगठन जिसके जुड़े आम आदमी पार्टी से तार, क्यों भारत के लिए है खतरनाक

Sikhs for Justice: सिख फॉर जस्टिस (SFJ) और दिल्ली के सीएम केजरीवाल के बीच संबंधों को लेकर दिल्ली के LG वीके सक्सेना की ओर से NIA की जांच की सिफारिश किए जाने के बाद मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस बीच आइये समझते हैं कि एसएफजे क्या है जिसके चलते अरविंद केजरीवाल का जेल से बाहर आ पाना मुश्किल हो गया है.

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Edited By: Vineet Kumar
Sikhs For Justice

Sikhs for Justice: दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सोमवार को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन "सिख फॉर जस्टिस" से कथित तौर पर राजनीतिक फंडिंग प्राप्त करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की. उपराज्यपाल को शिकायत मिली थी कि आम आदमी पार्टी (आप) को देवेन्द्र पाल भुल्लर की रिहाई में मदद करने और खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए चरमपंथी खालिस्तानी समूहों से भारी धनराशि - 16 मिलियन डॉलर - प्राप्त हुई थी.

केजरीवाल पर है 16 मिलियन डॉलर की रकम लेने का आरोप

गृह मंत्रालय को लिखे दो पेज के लेटर में एलजी के प्रधान सचिव ने 1 मई, 2024 की एक शिकायत का हवाला दिया, जो आशू मोंगिया राष्ट्रीय महासचिव (विश्व हिंदू महासंघ भारत) से प्राप्त हुई थी, साथ ही प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर आम आदमी पार्टी के पूर्व कार्यकर्ता डॉ मुनीश कुमार रायज़ादा की ओर से किए गए पोस्ट के प्रिंटआउट भी शामिल थे.

इस कम्युनिकेशन में शिकायतकर्ता ने एक वीडियो की सामग्री का उल्लेख किया है, जिसमें कथित तौर पर गुरपतवंत सिंह पन्नू (खालिस्तानी आतंकवादी और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक) की ओर से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) पर 2014 से 2022 के बीच खालिस्तानी समूहों से 16 मिलियन डॉलर की भारी धनराशि चंदे के रूप में लेने की बात कही गई है. ऐसे में अगर केजरीवाल पर सिक्ख फॉर जस्टिस से पैसा लेने की बात साबित हो जाती है तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

क्या है सिक्ख फॉर जस्टिस संगठन

आइए एक नजर इस संगठन पर डालते हैं कि ये कैसे भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए काम करता है और क्यों ये देश के लिए भविष्य में बड़ा खतरा साबित हो सकता है.

सिख फॉर जस्टिस (SFJ) एक विदेशी संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में कनाडा में हुई थी. यह संगठन दावा करता है कि यह मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है, विशेष रूप से भारतीय पंजाब में सिखों के अधिकारों के लिए. हालांकि, भारत सरकार और कई विशेषज्ञों का आरोप है कि SFJ का असली मकसद पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देना और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुँचाना है.

SFJ के आतंकवाद से जुड़े लिंक के आरोपों को समझने के लिए, इसकी गतिविधियों और भारत सरकार के साथ इसके टकराव को देखना महत्वपूर्ण है:

हिंसक अलगाववाद को उकसाना: SFJ पर भारत के पंजाब राज्य से एक अलग सिख राष्ट्र बनाने के लिए अलगाववादी आंदोलन को भड़काने का आरोप है. एसएफजे पर भारत के पंजाब राज्य से एक अलग सिख राष्ट्र बनाने के लिए अलगाववादी आंदोलन को भड़काने का आरोप है. भारत सरकार 1980 के दशक में पंजाब में हुए अलगाववादी आंदोलन को याद करती है, जिसने बड़े पैमाने पर हिंसा और आतंकवाद को जन्म दिया था. सरकार को चिंता है कि SFJ इस अशांत इतिहास को दोहरा सकता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत, पंजाब को पहले से ही काफी हद तक स्वायत्तता प्राप्त है, जो राज्य को अपने आंतरिक मामलों को संभालने का अधिकार देता है. SFJ की मांग है कि इस स्वायत्तता को पूर्ण स्वतंत्रता में बदला जाए, जो भारत सरकार के लिए स्वीकार्य नहीं है.

हिंसक प्रदर्शन और उग्रवाद को बढ़ावा देना: SFJ पर हिंसक प्रदर्शन और उग्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप है, जिसमें भारतीय राजनयिकों और हिंदू मंदिरों पर हमले शामिल हैं. उदाहरण के लिए, 2020 में, SFJ को कथित रूप से भारत में विधानसभा चुनावों को बाधित करने के लिए हिंसा भड़काने का प्रयास करने के लिए दोषी ठहराया गया था. इस तरह की घटनाओं से भारत सरकार और भारतीय समुदायों में गुस्सा पैदा होता है, जो SFJ के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं. भारत सरकार का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना: भारत सरकार का आरोप है कि SFJ आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाता है. भारत का कहना है कि संगठन कनाडा और अन्य देशों में रहने वाले सिखों से दान स्वीकार करता है और फिर इस धन का इस्तेमाल भारत में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करता है.

उदाहरण के लिए 2021 में गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुई हिंसा में SFJ की भूमिका की बात सामने आती है जब किसानों और सैन्य बल के बीच हिंसात्मक झड़प सामने आई थी. इस दौरान लाल किले की प्राचीर से निशान साहिब फहराया गया था और खालिस्तान के समर्थन में कुछ नारे भी लगे थे. 

इन मामलों में भी SFJ के खिलाफ चल रहे हैं केस

अप्रैल 2022 में हुए टिफिन बॉम्ब केस के लिए भी एनआईए कोर्ट ने एसएफजे को दोषी करार दिया था. SFJ पर 2017-18 के दौरान पंजाब में आगजनी, एसएफजे और रेफरेंडम-2020 के समर्थन में एक अलग सिख राज्य की मांग के समर्थन में ऑनलाइन और जमीनी स्तर पर प्रचार गतिविधियों को अंजाम देने सहित हिंसा के कई आरोप लगे हुए हैं. भारत सरकार ने SFJ को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है और उसके खिलाफ कई कदम उठाए हैं. इनमें भारत में उसके वेबसाइटों को ब्लॉक करना, उसके कथित फंड जुटाने के तरीकों को रोकना और उसके कथित सदस्यों को गिरफ्तार करना शामिल है.  

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी SFJ की गतिविधियों पर नजर रखने और उसे प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है. हालांकि, SFJ इन आरोपों को खारिज करता है और दावा करता है कि वह केवल शांतिपूर्ण तरीकों से सिख अधिकारों की पैरवी कर रहा है. संगठन का कहना है कि भारत सरकार द्वारा उसे आतंकवादी करार देना सिखों की आवाज को दबाने का एक प्रयास है.