चाहे CM हों या PM, इस अधिकारी के सामने सबको खड़ा ही रहना पड़ता है, समझिए क्या है ताकत
कुछ अधिकारियों की ताकत इतनी होती है कि देश से सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी अगर उनके सामने जाते हैं तो खड़े ही रहते हैं, जब तक वे बैठने का आदेश न दें. चुनाव में नामांकन के वक्त सबसे ताकवर अधिकारी के बारे में पढ़ें दिलचस्प तथ्य.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गिनती दुनिया के सबसे ताकतवर शख्सियतों में होती है. उन्हें देखकर दुनिया के दिग्गज देशों के अधिकारी और राष्ट्रपति सम्मान में खड़े हो जाते हैं. कभी सोचा है कि ऐसा कौन अधिकारी होता है, जिसके सामने नरेंद्र मोदी को भी खड़ा रहना पड़ता है?
वाराणसी में अपना नामांकन भरने गए नरेंद्र मोदी भी एक अधिकारी के सामने गए, उन्हें झुककर नमस्ते किया और सामने खड़े रहे. अधिकारी अपनी चेहर पर ही बैठा रहा. प्रोटोकॉल के मुताबिक वह अधिकारी अपने चेयर से उठ भी नहीं सकता था.
क्या पीएम ने जिसे सम्मान दिया, वह सुप्रीम कोर्ट का जज है या देश का सबसे बड़ा अधिकारी है? नहीं, उनकी रसूख किसी से कम नहीं है. चुनाव के दौरान सबसे ताकतवर संस्था चुनाव आयोग होती है. चुनाव आयोग के पीठासीन अधिकारी के सामने ही नामांकन पेश किया जाता है.
इस अधिकारी के पास ऐसी क्षमता है, जिसकी वजह से लोग उसके सामने खड़े रहते हैं. चाहे मुख्यमंत्री हों, या प्रधानमंत्री अगर नामांकन दाखिल करने गए हैं तो अधिकारी अपनी सीट पर ही बैठा रहेगा.
क्या होती है पीठासीन अधिकारी की ताकत?
जिला निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर में नामांकन दाखिल किया जाता है. इसमें प्रधानमंत्री हों या मुख्यमंत्री अगर चुनाव लड़ रहे हैं तो नामांकन दाखिल करने के लिए फॉर्म भरकर उसे जमा करते हैं. नॉमिनेशन फॉर्म के साथ एक एफिडेविट भी जमा करना होता है. हलफनामे की जांच भी अधिकारी ही करता है.
अगर जिला निर्वाचन अधिकारी को अगर प्रस्तावकों के हस्ताक्षर या फॉर्म में कोई त्रुटि नजर आती है तो वह खारिज कर सकता है. उसके पास प्रधानमंत्री के भी नामांकन को रद्द करने का अधिकार होता है. जिला निर्वाचन अधिकारी के पास संवैधानिक ताकत होती है. उसे चुनाव आयोग ने यह करने के लिए अधिकृत किया है.