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One Nation, One Election Explained: क्या है एक देश, एक चुनाव, दुनिया के किन देशों में लागू है ये व्यवस्था, एक क्लिक में जान लीजिए पूरी बात

One Nation One Election: ऐसे में हमें इस विषय के बारे में जानना चाहिए कि आखिर ये व्यवस्था किन-किन देशों में लागू है, इसका मतलब क्या होता, इसके नफा-नुकसान क्या हैं. आइए इन बातों को समझने की कोशिश करते हैं.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
One Nation, One Election Explained: क्या है एक देश, एक चुनाव, दुनिया के किन देशों में लागू है ये व्यवस्था, एक क्लिक में जान लीजिए पूरी बात

नई दिल्ली. देश में इस समय 'वन नेशन वन इलेक्शन' की चर्चा जोरों पर है. एक देश, एक चुनाव को लेकर नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री ने 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था - 'वन नेशन वन इलेक्शन' सिर्फ चर्चा का विषय नहीं बल्कि इंडिया की जरूरत है. हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं. इनसे विकास कार्यों में प्रभाव पड़ता है.' पीएम के इस बयान के तीन साल बाद 1 सितंबर 2023 को इस पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता पर एक कमेटी बना दी है. कुल मिलाकर इस जोरशोर चर्चा छिड़ चुकी है. राजनीतिक दल बढ़चढ़कर इस चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं. ऐसे में हमें इस विषय के बारे में जानना चाहिए कि आखिर ये व्यवस्था किन-किन देशों में लागू है, इसका मतलब क्या होता, इसके नफा-नुकसान क्या हैं. आइए इन बातों को समझने की कोशिश करते हैं.

क्या है 'वन नेशन वन इलेक्शन'?  (What is 'One Nation One Election'?)
देश की केंद्र सरकार के गठन के लिए लोकसभा चुनाव कराए जाते हैं. जो पार्टी जीतती है वो सरकार बनाती है. केंद्र के अलावा भारत में राज्य सरकारें भी होती हैं. राज्य सरकारों का गठन विधानसभा चुनाव के जरिए किया जाता है. अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय में होते रहते हैं. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ नहीं होते हैं. 'वन नेशन वन इलेक्शन' का मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं. यानी इस व्यवस्था के तहत एक दिन एक ही समय में चरणबद्ध तरीके से केंद्र और राज्य की सरकार चुनने के लिए चुनाव होंगे.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वन नेशन वन इलेक्शन की कई बार वकालत करते नजर आए हैं. अब जब से इसके लिए कमेटी बना दी गई है राजनीतिक पार्टियों के छोटे-बड़े नेता तरह-तरह के बयान दे रहे हैं. कोई कह रहा है सही है तो कोई कह रहा है यह गलत है. ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि इसके नफा नुकसान क्या है.

क्या है एक देश, एक चुनाव  के फायदे (One Nation, One Election Pros)
जब देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे तो इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इन पैसों में चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराने के लिए खर्च किया गया पैसा और चुनाव लड़ने वाले नेताओं द्वारा खर्च किया गया पैसा शामिल हैं.

इस व्यवस्था का समर्थन करने वालों का मानना है कि देश में कुछ-कुछ महीनों में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं. ऐसे में जब आचार संहिता लगती है तो इससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं. नीतिगत और प्रशासनिक फैसले लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुल मिलाकर विकास कार्य में बाधा आती है.

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन के नुकसान (One Nation, One Election Cons)
इस व्यवस्था का विरोध करने वाले तर्क देते हैं कि एक देश एक चुनाव से स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता नहीं मिल पाएगी. स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे. क्षेत्रीय पार्टियां, राष्ट्रीय पार्टियों के मुकाबले न तो चुनावी रणनीति और न ही चुनावी खर्च में मुकाबला कर पाएंगी.

इसके विरोध में एक तर्क दिया जाता है कि अगर समय से पहले लोकसभा या विधानसभा भंग कर दी गई तो क्या होगा. इस अवस्था में राज्य या फिर केंद्र में चुनाव तो फिर से कराना पड़ेगा. ऐसा 6 बार हो चुका है कि पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही लोकसभा को भंग किया जा चुका है.

किन-किन देशों में लागू है 'वन नेशन वन इलेक्शन' व्यवस्था
 'वन नेशन वन इलेक्शन' व्यवस्था कई देशों में लागू है. इस फार्मूले के तहत दुनियाभर के कई देशों में चुनाव कराए जाते हैं. जर्मनी, हंगरी, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, स्पेन, स्लोवेनिया, अल्बानिया, पोलैंड और बेल्जियम जैसे राष्ट्रों में एक साथ ही पूरे देश में चुनाव कराने का प्रावधान है.

4 बार देश में हो चुके हैं एक साथ चुनाव
देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं. आजादी के बाद जब 1951 में पहली बार चुनाव हुए थे तो देश में एक साथ चुनाव कराए गए थे. उसके अलावा 1957, 1952 और 1967 में भी देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. ऐसे में एक सवाल जो ये उठ रहा है कि क्या देश में एक साथ चुनाव कराया जा सकता है. तो जवाब है कि हां एक साथ चुनाव कराया जा सकता है क्योंकि इससे पहले भी एक साथ चुनाव हो चुके हैं.

लाना होगा बिल
अगर सरकार देश में एक साथ चुनाव कराना चाहती है तो उसे इसके लिए संसद में संविधान संशोधन का बिल लाना पड़ेगा. इससे पहले भी देश में कई बार इस व्यवस्था को लागू करने की मांग उठ चुकी है. इसे लेकर 1999, 2015 और 2018 में देश की लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है. विधि आयोग ने इस व्यवस्था का पूरा रोड मैप तैयार कर लिया है.

सरकार ने बुलाया है विशेष सत्र?
केंद्र की मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे हैं कि सरकार इस विशेष सत्र में 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर बिल पेश कर सकती है. राजनीतिक गलियारों में इसकी अटकलें तेज हो चुकी हैं. क्योंकि वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर सरकार के प्रतिनिधि इसके फायदे तो विरोधी इसके नुकसान गिना रहे हैं. अब ये तो 18 सितंबर को ही साफ हो पाएगा कि सरकार ने किस लिए विशेष सत्र बुलाया है. 

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