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'हर जमीन पर होगा सरकार का हक?' आखिर क्या है नजूल विधेयक जिसके विरोध में उतर आए BJP के विधायक

Nazul Land Bill: उत्तर प्रदेश में नजूल की जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया है. विधानसभा में लाए गए विधेयक का विरोध सत्ता पक्ष के विधायकों और सहयोगियों ने ही किया था. अब विधान परिषद में सत्ता पक्ष के सदस्य और प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों की मांग पर इसे अवर समिति को भेज दिया गया है. इसके प्रावधानों के लेकर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं और इसका जमकर विरोध भी किया जा रहा है.

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Edited By: India Daily Live
Nazul Land Bill
Courtesy: Social Media

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नजूल जमीन को लेकर एक कानून लाना चाहती है. इसमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिन पर विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कुछ विधायकों और उसके गठबंधन सहयोगियों को भी समस्या है. आलम ऐसा था कि जब इस विधेयक को विधान परिषद में लाया गया तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी इसके विरोध में खड़े हो गए. विधानसभा में पास होने के बाद यह विधेयक अब विधान परिषद में अटक गया है. इस पर समाजवादी पार्टी ने भी तीखा तंज कसा है. सपा का कहना है कि यह विधेयक असल में बीजेपी के कुछ लोगों के व्यक्तिगत फायदे के लिए लाया जा रहा है. 

इस विधेयक को जब विधानसभा में लाया गया तो चर्चा के साथ-साथ खूब हंगामा भी हुआ. इस मामले पर प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने रोचक बात कही. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, 'मैं बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह और हर्षवर्धन वाजपेयी से सहमत हूं कि इस विधेयक के गंभीर परिणाम होंगे. इलाहाबाद हाई कोर्ट भी नजूल की जमीन पर बना हुआ है तो क्या उसे भी खाली करा लिया जाएगा?' विधान परिषद में इसका विरोध करने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी थे. उन्होंने ही सभापति से अनुरोध किया कि इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए. उनकी मांग मान ली गई और इसे कमेटी को भेज भी दिया गया.

नजूल की जमीन होती क्या है?

दरअसल, जमीनों को कई तरह की श्रेणी में रखा जाता है. उदाहरण के लिए फ्रीहोल्ड जमीन की पूरा अधिकार उसके स्वामी के पास होता है. लीजहोल्ड जमीन या प्रॉपर्टी एक साल लेकर अधिकतम 99 साल के पट्टे पर दी जाती है. कुछ नियमों के आधार पर इन कैटगरी में बदलाव भी किया जा सकता है. यानी लीडहोल्ड की जमीन को फ्रीहोल्ड में बदलवाया जा सकता है. वहीं, नजूल की जमीन वह होती है जिस पर किसी का अधिकार नहीं होता. उसे सरकार की जमीन मान लिया जाता है जिसका इस्तेमाल सरकार सार्वजनिक कामों जैसे कि सड़क बनाने, अस्पताल, स्कूल या पंचायत के भवन आदि बनाने में करती है.

इसको इतिहास से समझें तो अंग्रेजों के समय जब राजा-महाराजा युद्ध हार जाते थे तो उनकी जमीन पर अंग्रेज कब्जा कर लेते थे. इसी जमीन को नजूल की संपत्ति कहा जाता था. जब देश आजाद हुआ और सत्ता का ट्रांसफर हुआ तो ऐसी संपत्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास चला गया. अब इस नजूल संपत्ति को लेकर कानून बनाने की कोशिश कर रही योगी सरकार का कहना है कि जनहित के कार्यों में सार्वजनिक जमीन मिलने में काफी वक्त मिल जाता है ऐसे में अब नजूल की जमीन ये निर्माण किए जाएंगे. हालांकि, इसका खूब विरोध हो रहा है और सत्ता पक्ष ही इस पर एकमत नहीं है.

नजूल संपत्ति विधेयक में क्या है?

इस विधेयक में कहा गया है कि अगर कोई नजूल वाली जमीन पट्टे पर ली गई है और पट्टा लेने वाला शख्स या संस्थान उसका किराया नियमित दे रहा है और नियमों का उल्लंघन नहीं किया है तो कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू कर दिया जाएगा. यह रिन्यूअल 30 साल के लिए होगा. वहीं, कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने पर वह संपत्ति सरकार के पास आ जाएगा. अगर यह बिल कानून में बदल जाता है तो किसी भी व्यक्ति या संस्थान को नजूल प्रॉपर्टी का मालिकाना हक नहीं मिलेगा. पहले से किए गए आवेदन भी कैंसल हो जाएंगे. साथ ही, नजूल की जमीन को फ्रीहोल्ड कराने के लिए जो रकम जमा की गई है और उसे एसबीआई की दरों पर ब्याज समेत व वापस कर दिया जाएगा. साथ ही, भविष्य में नजूल की किसी भी जमीन को फ्रीहोल्ड नहीं किया जाएगा. दरअसल, इसमें यह कहा गया है कि अगर नजूल की जमीन पर कोई निर्माण है तो उसके मुआवजे की भी व्यवस्था की गई है.  

क्यों हो रहा है विरोध?

प्रदेश के हर गांव, कस्बे और शहर में नजूल की बहुत सी जमीन हैं. इनमें से कुछ ऐसी हैं जिन पर लोग रहते हैं, कहीं नजूल की जमीन पर स्कूल बना है, अस्पताल बना है और इलाहाबाद हाई कोर्ट भी नजजूल की जमीन पर ही बना है. इस पर उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री का कहना है कि किसी गरीब को उजाड़ने के प्रयास नहीं होंगे. साथ ही, कोर्ट, स्कूल और मेडिकल कॉलेज भी वैसे के वैसे ही रहेंगे. हालांकि, ऐसे नियमों को लेकर ही नाराजगी बनी हुई है और अब इसे अवर समिति को भेज दिया गया है.

अनुप्रिया पटेल ने भी दिखाई आंख

नजूल विधेयक का विरोध करते हुए बीजेपी की गठबंधन सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल ने कहा, 'उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए और इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए. नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को आज भेज दिया गया है. व्यापक विमर्श के बिना लाए गए नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ गैरजरूरी है बल्कि आम जन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है.'

सपा ने लिए मजे

अब इसी बहाने समाजवादी पार्टी ने बीजेपी की आंतरिक कलह को भी उजागर करने की कोशिश की है. सपा ने अपने X हैंडल पर लिखा है, नजूल बिल के जरिए से दिल्ली वालों ने यूपी के मुखिया की प्रतिष्ठा की ऐसी तैसी कर दी. अब ये बेचारे कहें तो किससे कहें अपने दिल का दर्द? तो इसीलिए कहीं का गुस्सा कहीं निकाल रहे हैं, हम इनके गुस्से और परेशानी को समझते हुए ईश्वर से इनकी शुभकामना की प्रार्थना करते हैं Get Well Soon Yogi Ji.'

इस पर अखिलेश यादव ने कहा है, 'नज़ूल ज़मीन विधेयक दरअसल बीजेपी के कुछ लोगों के व्यक्तिगत फ़ायदे के लिए लाया जा रहा है जो अपने आसपास की ज़मीन को हड़पना चाहते हैं. गोरखपुर में ऐसी कई ज़मीने हैं जिन्हें कुछ लोग अपने प्रभाव-क्षेत्र के विस्तार के लिए हथियाना चाहते हैं. आशा है मुख्यमंत्री जी स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे किसी भी मंसूबे को कामयाब नहीं होने देंगे, खासतौर से गोरखपुर में.'