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क्या है अग्नि-5 में इस्तेमाल होने वाली MIRV तकनीक? जिससे खौफ में हैं भारत के दुश्मन

Agni-5 Missile With MIRV: भारत ने अपने दिव्यास्त्र अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है. यह मिसाइल MIRV तकनीक से लैस होने की वजह से और भी ज्यादा घातक हो गई है.

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Edited By: India Daily Live
Agni 5 Missile

Agni-5 Missile With MIRV: देश के वैज्ञानिकों को सोमवार को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. भारत ने सफलतापूर्वक MIRV तकनीक के साथ अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण कर लिया है. इसके लिए पीएम मोदी ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि मिशन दिव्यास्त्र के सफल परीक्षण पर हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है. स्वदेशी रुप से विकसित मल्टीपल इंडीपेंडेंट टारगेटेबल री एंट्री व्हीकल तकनीक ( MIRV) से बनी अग्नि-5 मिसाइल का यह पहला सफल परीक्षण है. इस मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत के दुश्मन सकते में हैं. इसके सफल परीक्षण के बाद भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी तकनीक की सुविधा है.  

क्या हैं MIRV तकनीक की खूबियां 

एमआईआरवी तकनीक के अंतर्गत कोई मिसाइल एक बार में कई परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.  इन हथियारों की मदद से अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है. अग्नि-5 की अन्य मिसाइलों में इस तरह की सुविधा नहीं थी.  इस मिसाइल की अन्य खूबी यह है कि इसे सड़क मार्ग के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है.  इस सिस्टम में स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणाली और हाई क्षमता वाले सेंसर लगे हैं.  इनसे यह स्पष्ट होता है कि री एंट्री व्हीकल सटीकता के साथ टारगेट प्वाइंट्स पर पहुंचता है. इस कारण भी इस मिसाइल को भारत के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. इस तकनीक की मदद से मिसाइल से एक साथ सैकड़ों किमी में फैले अलग-अलग निशानों पर सटीक निशाना लगा सकती है.

यह तकनीक कैसे करती है काम ? 

लॉन्च:  एमआईआरवी तकनीक से लैस मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल की तरह ही लॉन्च की जाती है. 

पोस्ट बूस्ट फेज: मिसाइल के फायर होने के बाद मिसाइल का ऊपरी हिस्सा BUS कहलाता है. इस चरण में बस द्वारा तयशुदा लक्ष्यों पर निशाना साधा जाता है.

तैनाती:  BUS जिस पर वारहेड लगे होते हैं क्रमिक रूप से एक साथ कई निशाना लगाने में सक्षम है. 

पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित

अग्नि-5 मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित मिसाइल है. इसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन DRDO ने बनाया है. इसकी मारक क्षमता 7000 किमी बताई जा रही है. यह तीन चरणों वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है. इस मिसाइल को पहली बार बनाने की योजना साल 2007 में बनाई गई थी. तब से लेकर अब तक इस मिसाइल के कई बार परीक्षण किए जा चुके हैं. इस मिसाइल के MIRV तकनीक से लैस हो जाने के बाद यह और भी घातक हो गई है.