जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने भारत को गहरे सदमे में डाल दिया. बैसारन मीडोज में हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें पर्यटक और स्थानीय लोग शामिल थे. हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के छद्म समूह रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली. इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. विदेश मंत्रालय ने कहा, "भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है."
सिंधु जल संधि क्या है?
भारत का सख्त फैसला
पहलगाम हमले के बाद भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के प्रति उसकी नीति में कोई ढील नहीं होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा समिति की बैठक में संधि को रद्द करने का फैसला लिया गया. विदेश सचिव ने घोषणा की, "पाकिस्तानी सेना के सलाहकारों को भारत में अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है." इसके साथ ही, वाघा-अटारी सीमा बंद कर दी गई और पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों को वापस बुला लिया गया.
वैश्विक नजरिया
यह कदम भारत के आतंकवाद के खिलाफ कठोर रुख को दर्शाता है. कई देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की, और भारत के इस फैसले को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.