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Exit Poll और Opinion Poll में क्या है अंतर? ये रही पूरी ABCD

What is Exit and Opinion Poll: पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की वोटिंग का आज आखिरी दिन है. चुनावी मौसम आते ही सर्वे की भरमार लग जाती है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Exit and Opinion Poll

India Daily Live Exit Poll Results 2023:  पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना   में विधानसभा चुनाव की वोटिंग का आज आखिरी दिन है. चुनावी मौसम आते ही सर्वे की भरमार लग जाती है. कोई कहता है कि BJP को इतने वोट मिलेंगे तो कोई कहता है कि कांग्रेस को इतने वोट मिलेंगे. इन अलग-अलग सर्वे को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल.

किया जाता है सर्वे 

दरअसल जनता से मिली राय के आधार पर ये सर्वे बताते हैं कि चुनाव में किसी पार्टी या गठबंधन के जीतने-हारने की संभावना क्या है. किसे कितनी सीटें मिल रही हैं या किसी नेता को कितने फीसदी जनता पसंद करती है.

इन अलग-अलग सर्वे को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल. आइए आज हम आपको बताते हैं कि एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में क्या अंतर है. कैसे मतगणना से पहले ही ये सरकार बनने और बिगड़ने का दावा कर देते हैं?

ओपिनियन पोल

ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराए जाते हैं. ओपिनियन पोल में सभी लोगों को शामिल किया जाता है. भले ही वो वोटर हों या नहीं हों. ओपिनियन पोल में चुनावी लिहाज से क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर जनता की नब्ज टटोली जाती है. इससे ये जानने की कोशिश की जाती है कि जनता किस बात से नाराज और किस बात से संतुष्ट हैं.

 एग्जिट पोल

वहीं, एग्जिट पोल मतदान के तुरंत बाद किया जाता है. एग्जिट पोल में केवल मतदाता को ही शामिल किया जाता है. इससे पता चलता है कि लोगों ने किस पार्टी पर भरोसा जताया है.

आसान शब्दों में समझें

आसान शब्दों में कहें तो ओपिनियन पोल में चुनाव से पहले लोगों से राय पूछी जाती है कि वो इस चुनाव में किस को वोट देने वाले हैं. वहीं एग्जिट पोल में वोटिंग के बाद पूछा जाता है कि आपने किस को वोट दिया है.

ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल करने का काम सर्वे एजेंसियां करती हैं. इन एजेंसियों के प्रतिनिधि संबंधित राज्य या इलाके के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कई आधार पर डेटा जमा करते हैं. इस आधार में लिंग, जाति, धर्म और इलाके का प्रकार प्रमुख हैं.

सर्वे से मिले आंकड़ों का विश्लेषण कर किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार की जीत-हार का अनुमान लगाया जाता है.

एक अच्छे सटीक ओपिनियन या एग्जिट पोल के लिए नमूनों का आकार बड़ी भूमिका निभाता है. नमूनों यानी सर्वेक्षण में शामिल लोगों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, पूछे जा रहे प्रश्न जितने विविध, गहराई वाले और पूवार्गह से ग्रस्त नहीं होंगे, तो वे सटीक परिणाम दिखा सकते हैं


नहीं है कानूनी प्रावधान 

भारत में चुनाव के पहले प्री-पोल और चुनावों के बाद पोस्ट पोल सर्वे को लेकर स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं हैं. चुनाव आयोग ने इस बारे में 1997 में नियम बनाने की पहल की.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जनहित याचिका दायर होने के बाद सभी दलों के सहमति से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में 126-A को जोड़ा गया, जिसे फरवरी 2010 से लागू किया गया.

इस कानून के अनुसार वोटिंग खत्म होने के पहले एग्जिट पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी गई और उल्लंघन पर जेल और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

वहीं, चुनाव आयोग ने ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध के लिए कई साल पहले प्रस्ताव भेजा है, जिसे केंद्र सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल रखा है.