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क्या होती है परिसीमन और जनगणना, महिला आरक्षण के लिए क्यों है जरूरी, जानें इसके सारे नियम?

Women Reservation Bill: लोकसभा में इस बिल के समर्थन नें बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने तस्वीर साफ करते हुए संकेत दिया कि संसद से पास होने के बाद यह विधेयक 2029 के बाद अमल में आएगा. ऐसे में महिला आरक्षण बिल को लागू करने के लिए परिसीमन और जनगणना होना बेहद जरूरी है.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
क्या होती है परिसीमन और जनगणना, महिला आरक्षण के लिए क्यों है जरूरी, जानें इसके सारे नियम?

Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल को लेकर केंद्र सरकार बेहद सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ रही है. महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिलाने वाला नारी शक्ति वंदन विधेयक को लेकर मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. मोदी सरकार के इस फैसले की जहां चारों तरफ चर्चा हो रही है वहीं विपक्ष इसे लागू करने को लेकर विपक्ष लगातार सवाल पूछ रहा है.

2029 के बाद अमल में आएगा महिला आरक्षण बिल

लोकसभा में इस बिल के समर्थन नें बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने तस्वीर साफ करते हुए संकेत दिया कि संसद से पास होने के बाद यह विधेयक 2029 के बाद अमल में आएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि परिसीमन और जनगणना होने के बाद के बाद महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का लाभ लोकसभा और विधानसभा में मिल पाएगा.

परिसीमन के पहले क्यों जरूरी है जनगणना

परिसीमन तभी संभव है जब जनगणना की जा चुकी हो. ऐसे में परिसीमन से पहले जनगणना होना बहुत जरूरी है. साल 2021 में परिसीमन होनी थी लेकिन अब तक नहीं हो सकी है. महिला आरक्षण बिल को लागू करने के लिए परिसीमन और जनगणना होना बेहद जरूरी है. जनगणना के  तहत किसी भी देश में रह रहे लोगों की संख्या, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन से संबंधित तमाम आंकड़ों को इकट्ठा करके उसको प्रकाशित किया जाता है. भारत में 10 साल की अवधि पर जनगणना कराये जाने का प्रावधान है. ऐसे में ऐसे में 2026 में भी परिसीमन होगा या नहीं इसके बारे में कोई साफ तस्वीर सामने उभर कर नहीं आई है.

जानिए क्या होता है परिसीमन

बढ़ती जनसंख्या के आधार पर समय-समय पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएं दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं. देश में 1971 से लोकसभा में सांसदों की संख्या 543 ही है. ऐसे में देश में परिसीमान का काम 2026 से शुरू होना है. जिसके बाद निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या बढ़ जाएगी. परिसीमन करने के दौरान अनुसूचित वर्ग के हितों को ध्यान में रखने के लिए आरक्षित सीटों का भी निर्धारण करना होता है.

परिसीमन प्रक्रिया का आधार यह तय करना होता है कि लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो. सभी को समान अवसर की समानता हो. इसलिए लोकसभा अथवा विधानसभा सीटों के क्षेत्र के पुनर्निधारण का काम परिसीमन आयोग का है. बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में समान प्रतिनिधित्व के लिए परिसीमन आयोग निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्निधारण करती है.

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