सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि अब उनपर UAPA के तहत मुकदमा चलेगा. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर के डॉक्टर शेख शौकत हुसैन के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. शेख शौकत हुसैन कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल लॉ के पूर्व प्रोफेसर हैं.
अरुंधति रॉय और डॉक्टर शेख शौकत हुसैन पर कश्मीर पर उनकी टिप्पणियों को लेकर 2010 में दर्ज एक मामले में आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है. राजभवन के अधिकारियों के अनुसार, 28 अक्टूबर, 2010 को कश्मीर के एक सोशल एक्टिविस्ट सुशील पंडित की शिकायत के आधार पर नई दिल्ली में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
राजधानी दिल्ल कोपरनिकस रोड स्थित LTG ऑडिटोरियम में 21 अक्टूबर 2010 को 'आजादी- द ओनली वे' नाम से एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें अरुंधति रॉय मौजूद थीं. उनपरन भड़काऊ भाषण देने और कश्मीर को भारत से अलग हिस्सा बताने का आरोप है. अरुंधति रॉय पर आरोप है कि उन्होंने कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने भाषण में कहा था कि कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था. कश्मीर के लोग खुश नहीं हैं. सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया हुआ है. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी और वरवरा राव सहित कई और वक्ता मौजूद थे.
Arundhati Roy had said, “Kashmir is not an integral part of India, and it never was.”
— BALA (@erbmjha) June 14, 2024
She to be prosecuted under UAPA for her provocative speech in a conference under the banner 'Azadi-the Only Way' in 2010.
Cleaning these pesticides should be the first priority! pic.twitter.com/Hahs8jXDF6
उस सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की गई और बात की गई, उनमें 'कश्मीर को भारत से अलग करने' का प्रोपेगेंडा शामिल था. शिकायतकर्ता सुशील पंडित ने सम्मेलन की रिकॉर्डिंग दी थी. शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एमएम कोर्ट नई दिल्ली के समक्ष शिकायत दर्ज की थी. इस कार्यक्रम में कहा गया कि भरातीय सेना ने कश्मीर पर जबरन कब्जा कर रखा है, इसलिए इसकी आजादी के हर संभल प्रयास किया जाना चाहिए.
राजभवन ने अक्टूबर 2023 में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए सीआरपीसी की धारा 196 के तहत उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी. बता दें कि अरुंधति रॉय एक जानी-मानी लेखिका है. उन्हें ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ को 1997 का बुकर प्राइज मिला चुका है. यह उनका पहला उपन्यास था और बुकर प्राइज जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला बनी थीं. अरुंधति रॉय मोदी सरकार की मुखर आलोचक रही हैं. अपनी राजनीतिक टिप्पणियों के लिए अक्सर वो निशाने पर आती रही हैं.
यूएपीए में कड़े प्रावधान हैं. इस पुराने कानून को मोदी सरकार ने 2019 में संशोधन कर इसके प्रावधानों को और कड़ा बना दिया. इसमें गैरक़ानूनी गतिविधि को उकसाने, प्रेरित करने या वकालत करने पर सजा दी जा सकती है. इसके मूताबिक भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य देश के खिलाफ अपराध है.