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India Daily

दिल्ली की सीएम तो बन गईं रेखा लेकिन मुश्किल भरा है आगे का सफर, इन चुनौतियों से होगा सामना

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सामने राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर कई चुनौतियां हैं, लेकिन उनका अनुभव और बीजेपी के समर्थन से वे इन समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सकती हैं. दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए रेखा गुप्ता को प्रशासनिक सुधार, प्रदूषण नियंत्रण और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि वह अपने चुनावी वादों को पूरा कर सकें और दिल्ली को एक बेहतर राज्य बना सकें.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
What are the challenges before Rekha Gupta who becomes the CM of Delhi

दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता में वापसी की है और रेखा गुप्ता को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है. रेखा गुप्ता ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. दिल्ली में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं में से रेखा गुप्ता का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था, और उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार बंदना कुमारी को लगभग 30 हजार वोटों से हराया. रेखा दिल्ली की सीएम तो बन गईं लेकिन उनके लिए आगे का सफर कांटों भरा है. कई सारी चुनौतियां उनका इंतजार कर रही हैं.

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सामने क्या हैं चुनौतियां

दिल्ली की मुख्यमंत्री बनना रेखा गुप्ता के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि उन्हें कई स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. दिल्ली में विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) का मजबूत आधार है और दिल्ली देश की राजधानी है, जिसके चलते यहां की राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति का असर राष्ट्रीय स्तर पर भी होता है. रेखा गुप्ता को न सिर्फ बीजेपी के अंदर, बल्कि पार्टी के बाहर भी कई मोर्चों पर मुकाबला करना होगा.

वायु प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में बेहतरीन प्रशासन प्रदान करना रेखा गुप्ता के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. दिल्ली को प्रदूषण, साफ पानी की कमी, खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. रेखा गुप्ता को इन मुद्दों पर काम करने के साथ-साथ बीजेपी के चुनावी वादों को भी पूरा करना होगा, जिनमें महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने, यमुना नदी की सफाई, मुफ्त बिजली और पानी जैसी योजनाएँ शामिल हैं.

गुटबाजी और एलजी के साथ तालमेल

बीजेपी के शासन में हमेशा से ही गुटबाजी की समस्या रही है, और रेखा गुप्ता को इससे निपटने में सफलता प्राप्त करनी होगी. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रेखा गुप्ता का आरएसएस और एबीवीपी से जुड़ाव उनके लिए मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि इससे पार्टी के भीतर गुटबाजी को संभालने में मदद मिल सकती है. साथ ही, एलजी (राज्यपाल) के साथ अच्छे तालमेल को भी रेखा गुप्ता को बनाए रखना होगा, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल दिल्ली की राजनीति को प्रभावित कर सकती है.

दिल्ली की सफाई और प्रदूषण की समस्या

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और गंदगी के मुद्दे पर बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वह दिल्ली को एक साफ और विकसित राजधानी बनाएगी. रेखा गुप्ता को इस वादे को पूरा करने के लिए यमुना नदी की सफाई के साथ-साथ दिल्ली के औद्योगिक कचरे को नदी में गिरने से रोकने और इससे संबंधित अन्य मुद्दों पर काम करना होगा.

महिला वोटरों के लिए वादे

बीजेपी ने दिल्ली में महिला वोटरों के लिए कई योजनाओं की घोषणा की थी, जिसमें महिला समृद्धि योजना के तहत पैसे देने का वादा शामिल है. रेखा गुप्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह वादा सही ढंग से लागू हो और महिला वोटर्स को लाभ पहुंचे. इसके अलावा, बीजेपी ने गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपये देने और आयुष्मान भारत योजना को लागू करने का भी वादा किया था, जिनका दिल्ली में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की आवश्यकता होगी.

क्या रेखा गुप्ता अपनी चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर पाएंगी?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रेखा गुप्ता के पास 30 साल का राजनीतिक अनुभव है और वह पूर्व मेयर भी रह चुकी हैं. उनके पास संगठन के भीतर संतुलन बनाए रखने की क्षमता है. इसके अलावा, बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर महिला, वैश्य समुदाय और संघ को भी साधने का प्रयास किया है. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि रेखा गुप्ता को कई मोर्चों पर कठिनाइयों का सामना करना होगा, लेकिन उनका अनुभव और पार्टी का समर्थन उन्हें इन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है.