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India Daily

'पाकिस्तान में एक भी बूंद पानी नहीं जाने देंगे', सिंधु जल संधि खत्म करने का प्लान तैयार, जानें क्या बोले जल शक्ति मंत्री?

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भाग लिया. जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
भारत ने रोका पाकिस्तान को सिंधु का पानी, जल शक्ति मंत्री का ऐलान
Courtesy: Social Media

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार (25 अप्रैल) को घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की जान लेने वाले आतंकी हमले में पाकिस्तान की कथित भूमिका के जवाब में भारत अब पाकिस्तान को “एक बूंद” पानी भी नहीं देगा. पाटिल ने कहा, “हम इस बात की पुष्टि करेंगे कि भारत से पाकिस्तान को एक भी बूंद पानी न मिलने पाए.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,यह बयान उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद दिया, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले के बाद की रणनीति पर चर्चा हुई.

उच्च-स्तरीय बैठक और मोदी के निर्देश

इस बैठक में जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के अलावा कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. पाटिल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं, और यह बैठक उन निर्देशों को लागू करने के लिए आयोजित की गई थी. अमित शाह ने भी केंद्र के फैसले को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कई सुझाव दिए.

आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी अपना रही मोदी सरकार

इस दौरान जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “मोदी सरकार का सिंधु जल संधि पर ऐतिहासिक फैसला कानूनी और राष्ट्रीय हित में है. ऐसे में हम सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न जाए. उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने पाकिस्तान को यह “कड़ा संदेश” दिया है कि वह आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा. 

सूत्रों ने बताया कि सरकार इस फैसले को प्रभावी बनाने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार कर रही है. यह कदम पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सख्त नीति का हिस्सा है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस शामिल है. 

जानें CM उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को निलंबित सिंधु जल संधि को केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए “सबसे अन्यायपूर्ण दस्तावेज” करार दिया. उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं. जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, हम ईमानदारी से कहें तो कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे. अब इसके मध्यम और दीर्घकालिक प्रभाव क्या होंगे, यह देखना होगा.