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दुनिया के सबसे अमीर मंदिर पर आई बड़ी आफत, कैसे निकलेगा समाधान?

इस साल औसत से कम बारिश होने के कारण वेंकटेश्वर मंदिर गंभीर जल संकट से जूझ रहा है. आंद्र प्रदेश के अन्य इलाकों में तो अच्छी बारिश हुई लेकिन चित्तूर जिले में औसत से कम बारिश देखने को मिली. तिरुमाला में हर दिन 43 लाख गैलन पानी की खपत होती है. इसमें से 18 लाख गैलन तिरुमाला के बांधों से आता है और बाकी तिरुपति में स्थित कल्याणी बांध से मिलता है.

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Edited By: India Daily Live
Tirumala Water Crisis
Courtesy: social media

Tirumala Water Crisis: चित्तूर जिले में शेषाचलम पर्वतमाला की सात पहाड़ियों के बीच स्थित भगवान श्री वेंकटेश्वर का पवित्र निवास तिरुमाला, जिसे दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है, गंभीर जल संकट से जूझ रहा है. वेंकटेश्वर मंदिर में आमतौर पर हर दिन 70,000 से 100,000 श्रद्धालु आते हैं.

कम बारिश के कारण संकट में वेंकटेश्वर मंदिर

इस साल औसत से कम बारिश होने के कारण वेंकटेश्वर मंदिर गंभीर जल संकट से जूझ रहा है. आंद्र प्रदेश के अन्य इलाकों में तो अच्छी बारिश हुई लेकिन चित्तूर जिले में औसत से कम बारिश देखने को मिली.

आंध्र प्रदेश के पांच प्रमुख बांधों गोगरभम, आकाश गंगा, पाप विनाशनम, कुमारधआरा और पशुपुधारा की कुल भंडारण क्षमता 14,304 लाख गैलन है लेकिन यहां केवल 5,800 लाख गैलन ही पानी बचा है जो 120 से 130 दिनों के लिए पर्याप्त है.

हर दिन चाहिए 43 लाख गैलन पानी
तिरुमाला में हर दिन 43 लाख गैलन पानी की खपत होती है. इसमें से 18 लाख गैलन तिरुमाला के बांधों से आता है और बाकी तिरुपति में स्थित कल्याणी बांध से मिलता है.

टीटीडी ने जताई गंभीर चिंता
मंदिर और शहर का प्रबंध करने वाली प्रशासनिक संस्था तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने पानी की बढ़ती कमी पर गंभीर चिंता जताई है. टीटीडी ने तीर्थयात्रियों और निवासियों से पानी बचाने और बर्बादी से बचने की सार्वजनिक चेतावनी जारी की है. 

मंदिर में हर साल होने वाले 9 दिन के धार्मिक महोत्सव नवाह्निका सलाकतला ब्रह्मोत्सवम्  में अब केवल डेढ़ महीना बचा है. यह महोत्सव 4 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच होना है. इस महोत्सव में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. ऐसे में पानी की किल्लत एक भारी परेशानी पैदा कर सकती है.

टीटीडी का कहना है कि अगर पानी की समस्या में सुधार नहीं होताहै तो तिरुमाला क्षेत्र में पानी की सप्लाई को नियंमित करना पड़ेगा. इस दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए आश्यक कदम उठाए जाएंगे. इस जल संकट से निपटने के लिए टीटीडी ने प्रयास शुरू कर दिये हैं. 

टीटीडी ने पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए तिरुमाला में प्लास्टिक की बोतलों और पाउच पर प्रतिबंध लगा. दिया है. इसके अलावा श्रद्धालुओं को रियायती दरों पर पानी उपलब्ध कराने के लिए एक नया मिनरल वाटर प्लांट भी लगाया जा रहा है.

गरमाई राजनीति
कम बारिश की कमी से उपजे जल संकट ने नेताओं का ध्यान भी खींचा है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के राज्यसभा सदस्य  विजय साई रेड्डी ने आंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है क्योंकि राज्य में केवल 130 दिन का पानी बचा है.

वहीं तिरुपति के सांसद डॉय एम. गुरुमूर्ति ने कहा कि स्थानीय लोगों को श्रद्धालुओं को पानी की कमी न हो यह टीटीडी  और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि हमने टीटीडी से तिरुपति नगर निगम और राज्य सरकार के साथ मिलकर समस्या का वैकल्पिक समाधान खोजने को कहा है.