Waqf Amendments Bill: भारत में वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट को बेहतर बनाने और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ाने के लिए भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल 2025 पर चर्चा हो रही है. इस बिल में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए कई नए प्रावधान जोड़े जाने की उम्मीद की जा रही है.
अब लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर वक्फ है क्या? तो बता दें कि यह एक इस्लामी प्रथा है, जिसमें व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक, सामाजिक उद्देश्यों के लिए दान करता है. भारत में, यह सिस्टम मस्जिदों, मदरसों और वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन्स को बनाए रखने में अहम योगदान देती है. हालांकि, ब्रिटिश शासन के दौरान वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट में कमी आई थी जिसके बाद से अवैध अतिक्रमण जैसी समस्याएं सामने आने लगी थीं.
भारत में वक्फ संपत्तियों को मैनेज करने के लिए कई कानूनी बदलाव किए गए हैं, जिनमें वक्फ अधिनियम 1954, 1995 और 2013 के संशोधन शामिल हैं. अब, 2025 में प्रस्तावित संशोधन इन संपत्तियों की निगरानी और जवाबदेही को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम कहा जा रहा है.
वक्फ संपत्तियों को 6 महीने के अंदर डिजिटल लिस्टिंग करने का प्रस्ताव है, जिससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और अनऑथराइज्ड लेन-देन को रोका जा सकेगा.
जिला मजिस्ट्रेटों को वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार मिलेगा, जिससे सरकारी भूमि को गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के रूप में नहीं लिया जा सकेगा.
जो दान कर रहे हैं उन्हें यह बताना होगा कि वो कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं और वो अपनी इच्छा से दान कर रहे हैं. यह कदम धोखाधड़ी से बचने के लिए लाया गया है.
मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों जैसी ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक खास ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा.
संशोधन में एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ संपत्तियों से जुड़े भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को रोकना है. एक संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि वक्फ संपत्तियों को धोखाधड़ी से बेचा या अतिक्रमण किया गया था. प्रस्तावित संशोधन इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार द्वारा निगरानी और डिजिटल रिकॉर्ड को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं.
जितने भी सुधार किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है उनमें ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी जिससे सराहा जा रहा है लेकिन कुछ वर्गों में चिंताएं भी हैं. वक्फ बोर्डों में राजनीतिक हस्तक्षेप और कानूनी पेचीदगियां इन संशोधनों के सही से लागू होने में बाधा पैदा कर सकती हैं. इसके अलावा, वक्फ बाय यूजर की अवधारणा पर भी बहस चल रही है, जिससे कई ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियां अपने दर्जे से वंचित हो सकती हैं.
वक्फ संपत्तियां भारत में लाखों लोगों के लिए एजुकेशन, हेल्थ और सोशल वेलफेयर का एक प्रमुख सोर्स हैं. प्रस्तावित संशोधन इन संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए एक अहम कदम हो सकता है. हालांकि, इन सुधारों को सही तरीके से लागू करना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. लेकिन अगर यह काम ठीक से किया जाए तो यह एक अच्छी शुरुआत का संकेत है.